क्या आपने कभी सोचा है कि आपके शहर के पार्क में खड़ी मूर्तियां भी प्रकृति के लिए खतरनाक हो सकती हैं? पारंपरिक मूर्तियां आमतौर पर सीमेंट, प्लास्टिक या लोहे से बनाई जाती हैं, जो जमीन को दूषित करती हैं। लेकिन अब कलाकारों ने एक बदलाव लाया है—पर्यावरण अनुकूल मूर्तियां! ये मूर्तियां मिट्टी, लकड़ी, या रिसाइकल्ड सामग्री से बनती हैं, जो प्रकृति में वापस जा सकती हैं बिना किसी नुकसान के।
आज के दिन ज्यादातर शहरों में प्रदूषण और अपशिष्ट की समस्या बढ़ रही है। पारंपरिक मूर्तियां जैसे सीमेंट के टुकड़े धीरे-धीरे जमीन को खराब करते हैं। लेकिन पर्यावरण अनुकूल मूर्तियां इस समस्या का हल हैं। राजस्थान के एक गांव में कलाकारों ने मिट्टी की मूर्तियां बनाकर दिखाया कि बारिश के साथ ये मूर्तियां धीरे-धीरे गायब हो जाती हैं और मिट्टी को पोषण देती हैं। यह सिर्फ कला नहीं, बल्कि प्रकृति का सम्मान है।
ये मूर्तियां बनाने के लिए कलाकार मिट्टी, पुराने कपड़े, या रिसाइकल्ड प्लास्टिक का इस्तेमाल करते हैं। मुंबई के एक कलाकार ने रिसाइकल्ड प्लास्टिक से एक बड़ी मूर्ति बनाई, जो अब शहर के पार्क में खड़ी है। रंग भी पौधों से बनाए जाते हैं—गुलाब से लाल रंग, हल्दी से पीला। ये सभी सामग्री प्रकृति के लिए सुरक्षित हैं और स्थानीय कला को भी बढ़ावा देती हैं।
अगर आप भी अपने शहर में ऐसी मूर्तियां देखना चाहते हैं, तो अपने नगर निगम से बात करें। आपके शहर में भी ये मूर्तियां बनाई जा सकती हैं। यह एक छोटी सी बदलाव है, लेकिन यह बड़ा असर डाल सकता है। तो आज से ही अपने आसपास के वातावरण के लिए एक छोटा सा कदम उठाइए।
गणेश चतुर्थी 2023 का दस दिवसीय पर्व 19 से 28 सितंबर तक देशभर में धूमधाम से मनाया गया। भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी की तिथि 18 से 19 सितंबर सुबह 10:28 तक रही, इसलिए उपवास 18 को और मुख्य स्थापना 19 को हुई। इस बार मंगलवार, रवि योग और स्वाति-विषाखा नक्षत्र के योग ने पर्व को खास बनाया। बड़े शहरों में सुरक्षा, ट्रैफिक और पर्यावरण के लिए विशेष इंतज़ाम हुए।