प्रयागराज में 2025‑26 में सरकारी स्कूलों में प्रवेश हेतु आधार‑रहित नीति लागू

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जब प्रवीन कुमार तिवारी, बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रयागराज ने 11 अक्टूबर 2025 को घोषणा की कि 2025‑26 शैक्षणिक सत्र में सरकारी स्कूलों में प्रवेश के लिए Aadhaar का होना अनिवार्य नहीं रहेगा, तो कई सवाल और आशाएँ एक साथ उभरीं। यह कदम राज्य में पहले से लागू कड़ाई वाले आधार‑आवश्यकता नियमों को उलट देता है, जहाँ 2023‑24 से दोनों माता‑पिता एवं बच्चे का आधार माँगा जा रहा था।

परिप्रेक्ष्य: आधार कार्ड और शैक्षिक अधिकार

केंद्रीय सरकार ने 5 सितंबर 2018 को जारी circular में स्पष्ट किया था कि ‘बिना आधार के किसी भी बच्चे को उसके वैध अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता’। विदेश मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने 31 जुलाई 2023 को लोकसभा में उत्तर दिया, “कोई बच्चा आधार के अभाव में स्कूल में प्रवेश नहीं कर पाएगा”। सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में भी इस बात को पुष्ट किया कि आधार को शिक्षा के लिए अनिवार्य नहीं किया जा सकता। फिर भी उत्तर प्रदेश ने 2023 में ऑनलाइन RTE प्रक्रिया में दोनों माता‑पिता एवं बच्चे का आधार अनिवार्य कर दिया था।

नयी निर्देश की मुख्य बातें

प्रवीन कुमार तिवारी के निर्देश के प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं:

  • 2025‑26 में सभी सरकारी प्राथमिक एवं मिश्रित विद्यालयों में आधार नहीं होने पर भी प्रवेश दिया जाएगा।
  • छात्रों की पहचान के लिये राशन कार्ड, वोटर आईडी, जन्म प्रमाणपत्र या कोई भी सरकारी दस्तावेज़ स्वीकार किया जाएगा।
  • वित्तीय सहायता के लिए 1,200 रुपये का वार्षिक DBT क्लीयरेंस जारी रहेगा, बशर्ते वैकल्पिक दस्तावेज़ों से पहचान प्रमाणित हो।
  • जिला स्तर पर लागू निगरानी समिति को यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी स्कूल ‘अधिकारियों के विरुद्ध’ छात्र को नामांकित करने से इनकार न करे।

यह दिशा‑निर्देश कांचन वर्मा, निदेशक जनरल, स्कूल शिक्षा, उत्तर प्रदेश द्वारा 27 मई 2024 को जारी मूल निर्देश का ही निरंतरता है, जहाँ उन्होंने आधार सत्यापन को तेज करने का ज़िक्र किया था ताकि DBT के तहत सटीक ऋण‑आधारित सहायता पहुंच सके।

राज्य तथा केंद्र के बीच टकराव

राज्य तथा केंद्र के बीच टकराव

उत्तर प्रदेश सरकार ने 2023‑24 में ‘ऑनलाइन RTE पोर्टल’ लॉन्च किया, जिससे अभिभावकों को आधार अपलोड करना अनिवार्य हो गया। कई दवाइसियों ने इस कदम को ‘पहचान‑भेदभाव’ कहा। इस पर UIDAI ने लगातार कहा है कि आधार शैक्षणिक प्रवेश के लिये अनिवार्य नहीं है।

राज्य‑केन्द्र का यह बेमेल तब और स्पष्ट हो गया जब केन्द्र ने 2021‑11‑29 को ‘समग्र शिक्षा’ के तहत यह नोटिफिकेशन जारी किया कि कोई भी योग्य बच्चा आधार न मिलने पर भी उसे लाभ मिलना चाहिए। अब प्रवीन कुमार तिवारी की घोषणा इस केंद्र‑राज्य सहयोग का व्यावहारिक रूप है।

स्टूडेंट्स पर संभावित असर

उत्तरी प्रदेश में आधे मिलियन (9,01,106) विद्यार्थियों के पास अभी तक आधार नहीं है। लखीमपुर खेर, बहरिच, आज़मगढ़, हार्डोई, जौनपुर और बडौन जैसे जिलों में सबसे अधिक संख्या है। इस नीति से ये बच्चे तत्काल स्कूल में प्रवेश ले सकेंगे और वार्षिक 1,200 रुपये की सहायता भी मिल सकेगी।

उदाहरण के तौर पर, लखीमपुर खेर के एक प्राथमिक स्कूल के शिक्षक श्रीमती रीता सिंह ने कहा, “पहले कई अभिभावकों को आधार के कारण दस्तावेज़ी झंझट में फँसे हुए देखा गया, अब उनका बच्चा बिना रोक‑टोक के कक्षा में बैठ सकता है।”

वैसे भी, इस कदम से न केवल शैक्षणिक प्रवेश आसान होगा, बल्कि परिवारों के लिए आर्थिक बोझ भी कम होगा, क्योंकि अब उन्हें आधार बनाने के लिए लंबी कतारों में इंतजार नहीं करना पड़ेगा।

आगे की राह और निगरानी

आगे की राह और निगरानी

प्रवीन कुमार तिवारी ने कहा कि जिला स्तर पर एक नई ‘प्रवेश निगरानी समिति’ स्थापित की जाएगी, जिसमें जिला मजिस्ट्रेट, स्कूल प्रमुख और स्थानीय समाजिक कार्यकर्ता शामिल होंगे। इस समिति का काम यह देखना होगा कि वैकल्पिक पहचान दस्तावेज़ों की जाँच सही ढंग से हो और कोई भी स्कूल अनावश्यक रूप से छात्र को अस्वीकार न करे।

केंद्र ने भी इस दिशा में पहल की है – शिक्षा मंत्रालय ने एक ‘डिजिटल पहचान टूलकिट’ तैयार किया है, जिससे स्कूलों को तुरंत वैकल्पिक दस्तावेज़ों के आधार पर छात्र की पहचान सत्यापित करने में मदद मिलेगी। अगले वर्ष के अंत तक यह टूलकिट सभी 1.33 लाख सरकारी स्कूलों में लागू होने की उम्मीद है।

संक्षेप में, यह नीति न केवल बच्चों के अधिकारों को सुदृढ़ करती है, बल्कि राज्य की शैक्षिक उपलब्धि के लक्ष्य को भी तेज़ी से हासिल करने में मदद करेगी।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

बिना आधार के स्कूल में दाखिला कैसे होगा?

स्कूल अब राशन कार्ड, वोटर आईडी, जन्म प्रमाणपत्र या किसी भी सरकारी पहचानपत्र को मान्य करेंगे। अभिभावक इन्हें स्कूल को प्रस्तुत करेंगे और एक ऑनलाइन सत्यापन प्रक्रिया के माध्यम से पहचान की पुष्टि होगी।

क्या वार्षिक 1,200 रुपये की सहायता अभी भी मिलेगी?

हाँ, सहायता जारी रहेगी। बस यह आवश्यक है कि छात्र की पहचान वैकल्पिक दस्तावेज़ों से सिद्ध हो और DBT प्रणाली में उसका बैंक खाता लिंक हो।

क्या यह बदलाव केवल प्रयागराज तक सीमित है?

प्रवीन कुमार तिवारी की घोषणा प्रयागराज के लिए है, लेकिन इस मॉडल को उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों में भी अपनाने की योजना है। राज्य शिक्षा विभाग ने इसे ‘पायलट’ के रूप में पेश किया है।

यदि कोई स्कूल इस नई नीति का पालन नहीं करे तो क्या होगा?

डिस्ट्रिक्ट लेवल मॉनिटरिंग समिति स्कूलों को नोटिस भेजेगी। लगातार उल्लंघन करने वाले स्कूलों के शैक्षणिक मान्यता पर असर पड़ सकता है, जैसा कि पिछले निर्देशों में कहा गया था।

केंद्र की आधिकारिक स्थिति क्या है?

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने 2018 के सर्कुलर और 2021 की नोटिफिकेशन के तहत कहा है कि ‘बिना आधार के किसी भी बच्चे को उसके अधिकारों से वंचित नहीं किया जाना चाहिए’। यह नई नीति उसी दिशा में एक व्यावहारिक कदम है।

Maanasa Manikandan

Maanasa Manikandan

मैं एक पेशेवर पत्रकार हूं और भारत में दैनिक समाचारों पर लेख लिखती हूं। मेरी खास रुचि नवीनतम घटनाओं और समाज में हो रहे परिवर्तनों पर है। मेरा उद्देश्य नई जानकारी को सरल और सटीक तरीके से प्रस्तुत करना है।

10 Comments

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    Anu Deep

    अक्तूबर 11, 2025 AT 03:20

    प्रयागराज में आधार‑रहित नीति काफी राहत देती है कई परिवारों को अब दस्तावेज़ की झंझट नहीं होगी बच्चा सीधे स्कूल में दाखिला ले पाएगा यह कदम अब तक की कड़ियों को तोड़ता है खासकर उन इलाकों में जहाँ आधार नहीं है जहाँ कई बच्चे शिक्षा से वंचित थे अब उनका अधिकार सुरक्षित रहेगा

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    Preeti Panwar

    अक्तूबर 11, 2025 AT 04:26

    सच में दिल को छू जाता है ये बदलाव देख कर 😊 पहले से ही कई माँ‑बाप परेशान थे अब राहत मिल रही है 🙏 साथ ही यह बच्चों की पढ़ाई में भी सकारात्मक बदलाव लाएगा

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    MANOJ SINGH

    अक्तूबर 11, 2025 AT 05:33

    इसे लीजिए तो बस कागज‑पतरा है सरकार की नयी फिल्म में दिखा रहे हैं लेकिन असली दिक्कत वही रहेगी जब तक जमीन पर लागू नहीं करेंगे हर बार वादे तोड़ते हैं अभी भी कई स्कूल में दिक्कत भरी रिपोर्टें आती हैं

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    Vaibhav Singh

    अक्तूबर 11, 2025 AT 06:56

    ये तो बस एक और दिखावा है।

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    harshit malhotra

    अक्तूबर 11, 2025 AT 08:20

    देश की प्रगति में शिक्षा का आधारभूत भूमिका है। बिना आधार के भी स्कूल में प्रवेश की अनुमति देना समानता का प्रतीक है। यह निर्णय सिर्फ एक प्रशासनिक बदलाव नहीं बल्कि सामाजिक न्याय की ओर एक बड़ा कदम है। हमारे देश के महान राष्ट्रपिता ने हमेशा समान अधिकारों की बात की थी। अब यह बात शिक्षा के मैदान में भी साकार हो रही है। प्रवीन कुमार तिवारी ने इस नीति को लागू करके अपने कर्तव्यनिष्ठा को साबित किया है। इससे न केवल बच्चों की पढ़ाई में बाधा कम होगी बल्कि आर्थिक बोझ भी घटेगा। कई परिवारों को अब कड़ी कतारों में खड़े होकर आधार बनवाने की आवश्यकता नहीं रहेगी। यह लाभ सीधे उन इलाकों में पहुंचना चाहिए जहाँ के छात्रों के पास आधार नहीं है। डिजिटल पहचान टूलकिट का उपयोग करके स्कूलों को पहचान सत्यापित करने में आसानी होगी। मंत्रालय का यह सहयोग राज्य‑केंद्र के तालमेल को और मजबूत करेगा। भविष्य में यदि अन्य राज्यों ने भी इस मॉडल को अपनाया तो राष्ट्रीय शिक्षा मानक और ऊँचा उठेगा। अंत में यह कहा जा सकता है कि यह पहल हमारे राष्ट्र के विकास की राह में एक प्रकाशस्तंभ बनकर उभरेगी।

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    saurabh waghmare

    अक्तूबर 11, 2025 AT 09:43

    यह नीतिगत बदलाव भारत की शैक्षणिक संरचना को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसे सफल बनाने के लिए राज्य और केंद्रीय स्तर पर निरंतर निगरानी आवश्यक होगी।

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    Madhav Kumthekar

    अक्तूबर 11, 2025 AT 11:06

    डिजिटल पहचान टूलकिट के कार्यान्वयन के लिए स्कूलों को तकनीकी सहायता प्रदान की जानी चाहिए ताकि पहचान प्रक्रिया में कोई त्रुटि न हो। इसके अतिरिक्त, स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता भी इस प्रक्रिया में सहयोग दे सकते हैं।

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    Hrishikesh Kesarkar

    अक्तूबर 11, 2025 AT 12:30

    राशन कार्ड से भी प्रवेश मिल जाएगा, अच्छा लगा।

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    Manu Atelier

    अक्तूबर 11, 2025 AT 13:53

    संचालन में सूक्ष्म त्रुटियों को सूचित करने हेतु एक स्पष्ट रिपोर्टिंग मैकेनिज्म स्थापित करना आवश्यक होगा।

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    Ankit Intodia

    अक्तूबर 11, 2025 AT 15:16

    बिलकुल सही कहा, लोग आसानी से समझेंगे और जल्दी एडॉप्ट करेंगे 🙌

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