जब हम F-35 कार्यक्रम, संयुक्त राज्य अमेरिका की सुरक्षा एजेंसियों द्वारा विकसित पाँच‑सीट स्टेल्थ मल्टी‑रोल फाइटर जेट का व्यापक प्रोजेक्ट है. Also known as लॉकरहिड़न मार्टिन F-35 लाइटनिंग II, it F-35 कार्यक्रम राष्ट्रों की हवाई शक्ति को नया रूप देता है। इस प्रोजेक्ट में तीन मुख्य वेरिएंट – A, B और C – शामिल हैं, जो जमीन, समुद्री और बिंदु‑से‑बिंदु संचालन के लिये अनुकूलित हैं। आज तक 15 से अधिक देशों ने इस फाइटर को अपनाया है और कई और खरीदारी की प्रक्रिया में हैं।
मुख्य ठेकेदार लॉकरहिड़न मार्टिन, फ्लाइट कंट्रोल, एयरोस्पेस इंजीनियरिंग और प्रोग्राम मैनेजमेंट में विश्व‑प्रसिद्ध एयरोस्पेस कंपनी को F-35 की डिजाइन, निर्माण और मेंटेनेंस का जिम्मा सौंपा गया है। बिना कॉम्प्लेक्स सप्लाय चेन के यह प्रोग्राम कई छोटे‑बड़े कंपनियों को जोड़ता है, जिससे रक्षा उद्योग का पैमाना बढ़ता है। इस जुड़ाव ने नई नौकरियां पैदा कीं और तकनीकी नवाचार को तेज किया।
एक और कोर तकनीक स्टेल्थ टेक्नोलॉजी, रडार रिफ्लेक्टिविटी को न्यूनतम करने वाली सामग्री और आकृति विज्ञान है, जो F-35 को एंटी‑एयरक्राफ्ट सेंसर्स से छुपाने में मदद करती है। स्टेल्थ टेक्नोलॉजी ने न केवल पता लगाने की दूरी घटाई, बल्कि एंटी‑जैमर क्षमताओं को भी बढ़ाया। इस कारण F-35 को उच्च‑स्तरीय मिशन, जैसे इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और गहराई‑से‑स्ट्राइक, में भरोसा किया जाता है।
रक्षा उद्योग के रिश्ते को देखते हुए F-35 कार्यक्रम कई देशों के लिए आर्थिक बूम का कारक बन गया है। स्थानीय निर्माताओं को लाइसेंस प्राप्त हिस्से मिलते हैं, जिससे प्रॉडक्शन लागत कम होती है और स्वदेशी तकनीक विकसित होती है। भारत में भी इस प्रोग्राम की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए वार्ताएँ चल रही हैं – जिससे भारतीय रक्षा उत्पादन को नई दिशा मिल सकती है। इस तरह का सहयोग न केवल रक्षा पहल को सशक्त बनाता है, बल्कि व्यावसायिक लाभ भी देता है।
अब आप नीचे इस पेज पर F-35 कार्यक्रम से जुड़ी ताज़ा ख़बरें, विश्लेषण और विशेषज्ञ राय देखेंगे, जिससे इस फाइटर जेट की नई पहल और भविष्य की दिशा समझ पाएँगे।
टर्की के S-400 की संभावित निष्क्रियता और बायबैक योजना से भारत की रक्षा को मिलेगा बड़ा फायदा, जबकि क्षेत्रीय संतुलन में आएगा बदलाव।