भूस्खलन वह घटना है जब जमीन की सतह से मिट्टी या चट्टान नीचे गिरती है. आमतौर पर भारी बारिश, भूकंप या कमजोर भू‑संरचना इसको ट्रिगर करती हैं. भारत में मॉन्सून के दौरान ये अक्सर देखे जाते हैं.
मुख्य कारणों में लगातार तेज़ बारिश, ढलानों की अत्यधिक कटरता और वन कटाई शामिल है. जब पेड़ों की जड़ें मिट्टी को पकड़ती नहीं, तो पानी के भार से वह फिसल जाता है. कभी‑कभी निर्माण कार्य या अनजाने में किए गए उत्खनन भी जोखिम बढ़ाते हैं.
पहले, उन क्षेत्रों में जहां इतिहास में भूस्खलन हुआ है, वहाँ नई इमारतें बनाना मुश्किल होना चाहिए. दूसरी बात, ढलानों पर पेड़ लगाकर जड़ों से मिट्टी को मजबूत रखें. अगर आप ऐसे इलाके में रहते हैं तो बारिश के दिन बाहर निकलने से बचें और स्थानीय चेतावनी जारी होने पर तुरंत सुरक्षित स्थान पर जाएँ.
स्थानीय प्रशासन अक्सर रियल‑टाइम अलर्ट देता है, इसलिए रेडियो या मोबाइल ऐप्स से अपडेट लेते रहें. यदि आपको ध्वनि या जमीन में हिलन महसूस हो, तो तुरंत खाली जगह पर चले जाएँ और नीचे न छिपें; यह उल्टा प्रभाव डाल सकता है.
भूस्खलन के बाद बचाव कार्य भी सरल नहीं होता. आपातकालीन किट में टॉर्च, पानी, स्नैक्स और प्राथमिक चिकित्सा सामान रखें. पड़ोसियों की मदद से बचे हुए लोगों को सुरक्षित जगह पर ले जाना तेज़ी से हो सकता है.
भारत में हाल ही में हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और केरल में भारी बारिश के कारण कई भूस्खलन देखे गये हैं. इन घटनाओं ने दिखा दिया कि समय पर चेतावनी और सही तैयारी कितनी ज़रूरी है.
अगर आप ग्रामीण या पहाड़ी क्षेत्र में रहते हैं तो स्थानीय सरकारी योजनाओं का लाभ उठाएँ. कई बार वन पुनर्स्थापन और बुनियादी ढांचा सुधार के लिये फंड उपलब्ध कराए जाते हैं.
अंत में, भूस्खलन को पूरी तरह रोकना मुश्किल है, पर जागरूकता से नुकसान कम किया जा सकता है. अपने घर की सुरक्षा जाँचें, निकास रास्ते साफ रखें और आपातकालीन योजना बनाकर रखें. इस जानकारी को दोस्तों और परिवार के साथ शेयर करें ताकि सभी सुरक्षित रहें.
केरल के वायनाड जिले में मंगलवार को भारी बारिश से induced भूस्खलन में कम से कम 45 लोगों की मृत्यु हो गई है। गांवों में बचाव अभियान जारी है, जिसमें एनडीआरएफ, पुलिस, फायर फोर्स और स्थानीय अधिकारी शामिल हैं। मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने प्रभावित परिवारों के लिए वायुसेना की हेलीकॉप्टर तैनात किए हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र की ओर से सहायता का वादा किया है।
पापुआ न्यू गिनी में भूस्खलन की भयावह आपदा, जहां अनुमानत: 2000 से अधिक लोग मलबे में दबे हो सकते हैं। इस घटना ने पूरे क्षेत्र में व्यापक विनाश और अफरातफरी मचा दी है। गल्फ प्रांत में हुई इस आपदा का कारण भारी बारिश बताया जा रहा है। जैसे-जैसे अधिक जानकारी सामने आएगी, हताहतों की सही संख्या का पता चल पाएगा।