केरल के वायनाड जिले में मंगलवार को हुए भयानक भूस्खलन ने राज्य में संकट का माहौल पैदा कर दिया है। इस भूस्खलन में अब तक 45 लोगों की मृत्यु की पुष्टि हो चुकी है। मृतकों में एक नेपाली नागरिक और दो बच्चे भी शामिल हैं, जबकि सैकड़ों लोग अभी भी फंसे हुए हो सकते हैं। इस आपदा ने मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टामाला, और नूलपुझा गांवों को पूरी तरह से अलग-थलग कर दिया है।
राहत और बचाव कार्य तेज गति से जारी है। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF), पुलिस, अग्निशमन सेवा और स्थानीय अधिकारी लगातार प्रयासरत हैं। कठिन परिस्थितियों के बावजूद, वे किसी भी संभावित बचाव के लिए तैयार हैं। भारी बारिश के कारण बचाव कार्यों में कठिनाई आ रही है, लेकिन इसे कोई रोकने वाला नहीं है। मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने हालात का जायजा लेने के बाद बचाव कार्यों के लिए दो वायुसेना के हेलीकॉप्टर तैनात किए हैं, जो प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने में सहायक होंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस घटना पर गहरा शोक व्यक्त किया है और केंद्र की ओर से हर संभव सहायता का वादा किया है। उन्होंने मृतकों के परिवारजनों को 2 लाख रुपये और घायल लोगों को 50,000 रुपये की आर्थिक सहायता की घोषणा की है। प्रधानमंत्री ने ट्वीट करते हुए अपनी संवेदना व्यक्त की और कहा कि केंद्र सरकार राज्य सरकार के साथ मिलकर काम करेगी।
वायनाड से पूर्व सांसद राहुल गांधी ने भी मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन से बात की और अपनी संवेदना व्यक्त की। राहुल गांधी ने प्रभावित परिवारों के प्रति अपनी संवेदना जताई और हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है। इसके अलावा, केरल राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (KSDMA) ने भी स्थिति को नियंत्रित करने के लिए अपने संसाधनों को सक्रिय कर दिया है। KSDMA आपरेशन के आदेशों का पालन कर रही है, जिसमें वह समर्पित प्रयास कर रही है कि अधिक से अधिक लोगों को बचाया और सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जा सके।
इस बीच, स्थानीय निवासियों ने भी अपने तरीके से बचाव कार्यों में हाथ बंटाया है। विपरीत परिस्थितियों के बावजूद, वे अपने पड़ोसियों को सहायता पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। कई स्थानों पर लोगों ने स्वयंसेवी समूह बनाकर राहत सामग्री का वितरण शुरू कर दिया है।
इस भूस्खलन ने केरल में मानसून की भयंकरता को एक बार फिर उजागर कर दिया है। प्रतिवर्ष बाढ़ और भूस्खलन जैसी आपदाओं का सामना करते हुए राज्य को पहले से ही सजग रहना पड़ता है। लेकिन इस बार की स्थिति विशेष रूप से गंभीर है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि भारी बारिश के चलते आने वाले दिनों में और भी खतरे बढ़ सकते हैं।
इस आपदा से निपटने के लिए राज्य सरकार ने पहले से ही आपातकालीन स्थिति को देखते हुए कई ऐहतियाती कदम उठाए हैं। राज्य के सभी प्रभावित इलाकों में आपातकालीन सहायता केंद्र स्थापित किए गए हैं, जहां प्रभावित लोगों को चिकित्सा सुविधा, भोजन और आश्रय उपलब्ध कराया जा रहा है।
वायनाड की इस त्रासदी ने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा है। विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी संगठन, साथ ही सामुदायिक समूह भी राहत कार्यों में जुट गए हैं। एक बार फिर, यह घटना हमें सिखाती है कि प्राकृतिक आपदाओं के प्रति हमें हमेशा सजग और तैयार रहना चाहिए।