यूक्रेन संघर्ष में उत्तरी कोरियाई सैनिकों की भागीदारी पर ज़ेलेंस्की का दावा

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जंग के नए अध्याय में उत्तर कोरिया की भागीदारी

यूक्रेन के राष्ट्रपति, वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की, ने हाल ही में खुलासा किया है कि उत्तर कोरिया अब यूक्रेन में रूसी सेनाओं के साथ लड़ाई में शामिल हो गया है। ज़ेलेंस्की का कहना है कि यह एक खतरनाक संकेत है जो यह दर्शाता है कि युद्ध अब केवल हथियारों के भेजे जाने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसमें अब लोगों का भी हस्तांतरण हो रहा है। उनका यह आरोप एक समय आया है जब रूस और उत्तर कोरिया के संबंधों में काफी गर्मजोशी देखी जा रही है।

रूस-उत्तर कोरिया का नया गठजोड़

गत जून माह में, जब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 25 वर्षों में पहली बार उत्तर कोरिया का दौरा किया, तब उन्होंने उत्तर कोरियाई नेता, किम जोंग उन, के साथ एक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते के बाद से दोनों देशों के रिश्तों में नई ऊर्जा देखी जा रही है। यद्यपि यह स्पष्ट नहीं था कि क्या इस समझौते का कोई खास मकसद है, लेकिन यह आरोप कि उत्तर कोरिया ने अपने सैनिकों को रूसी सेनाओं के सहयोग के लिए भेजा है, एक नया आयाम जोड़ता है।

सामरिक परिस्थितियों में बदलाव

जैसे ही यह जानकारी सामने आई, ज़ेलेंस्की ने अपनी रात की एक बातचीत में कहा कि यूक्रेन और उसके सहयोगियों को रूस के विस्तृत संबंधों के संदर्भ में अपनी रणनीतियों को समायोजित करना होगा। उनका मानना है कि लंबी दूरी की मिसाइलें रूसी सैन्य ठिकानों को लक्षित करने में अति महत्वपूर्ण होंगी, जिससे रूस की युद्ध क्षमता में कमी आ सकती है। उन्होंने दुनिया के बाक़ी देशों से रूस को युद्ध के मैदान में तत्काल सामरिक सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया।

दक्षिण कोरिया की पुष्टि

दक्षिण कोरिया के राष्ट्रीय रक्षा मंत्री, किम योंग-ह्युन ने भी उत्तर कोरिया के सैनिकों के रूस की सहायता में जाने की संभावना को "अत्यधिक संभव" माना है। उन्होंने सुझाव दिया कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि उत्तर कोरिया रूस का समर्थन कर सकता है, और यह भी कि यूक्रेन के एक हमले में कुछ उत्तर कोरियाई अधिकारी मृत हो सकते हैं।

उत्तरी कोरिया द्वारा हथियारों की आपूर्ति

अलग-अलग रिपोर्टों के अनुसार, अप्रैल माह में संयुक्त राष्ट्र के अवलोकनकर्ताओं ने दावा किया कि एक मिसाइल खारकीव में गिरी थी, जिसका मलबा उत्तर कोरियाई ह्वासोंग-11 बैलिस्टिक मिसाइल का था। ऐसी रिपोर्टों ने इस संभावना को और मजबूत किया कि उत्तर कोरिया ने हथियारों की आपूर्ति भी रूस को की है। संयुक्त राष्ट्र, दक्षिण कोरिया और यूक्रेन, सभी इसके पीछे उत्तर कोरिया का हाथ मानते हैं।

विश्व के लिए एक चेतावनी

रूस और उत्तर कोरिया का यह गठजोड़ न केवल यूक्रेन बल्कि संपूर्ण यूरोप के लिए चिंता का विषय है। यह जरूरी है कि वैश्विक समुदाय इन बढ़ते संबंधों और उनके संभावित परिणामों को गंभीरता से ले। रूस का उत्तर कोरिया के साथ जुड़ाव एक गहरी चिंता का विषय है, और इसके संभावित परिणामों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

Maanasa Manikandan

Maanasa Manikandan

मैं एक पेशेवर पत्रकार हूं और भारत में दैनिक समाचारों पर लेख लिखती हूं। मेरी खास रुचि नवीनतम घटनाओं और समाज में हो रहे परिवर्तनों पर है। मेरा उद्देश्य नई जानकारी को सरल और सटीक तरीके से प्रस्तुत करना है।

8 Comments

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    Nishu Sharma

    अक्तूबर 16, 2024 AT 10:26

    यूक्रेन में उत्तर कोरियाई सैनिकों की भागीदारी का दावा अभी तक किसी भी विश्वसनीय स्रोत से पुष्टि नहीं हुई है और यह सब शायद एक राजनीतिक धोखा है जिसका उद्देश्य रूस के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समर्थन बढ़ाना है ज़ेलेंस्की के लिए अब हर चीज़ एक युद्ध का अवसर बन गई है जिससे वो अपनी आंतरिक असफलताओं को ढक सकें अगर उत्तर कोरिया वाकई में सैनिक भेज रहा है तो यह बहुत बड़ी बात है लेकिन अभी तक कोई फोटो नहीं कोई वीडियो नहीं कोई सैन्य इकाई का नाम नहीं सिर्फ एक बयान जो अंतरराष्ट्रीय निगरानी के लिए काफी नहीं है

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    Shraddha Tomar

    अक्तूबर 16, 2024 AT 21:31

    ये सब तो बस एक बड़ा गेम है जहां हर कोई अपनी चाल चल रहा है और यूक्रेन को लगता है कि अगर वो बड़ी बातें करेगा तो दुनिया उसकी ओर देखेगी लेकिन असल में ये एक बड़ा ड्रामा है जिसमें लोगों को डराने की कोशिश की जा रही है अगर उत्तर कोरिया वाकई में सैनिक भेज रहा है तो ये दुनिया के लिए एक नया युग है लेकिन अगर नहीं तो ये एक बहुत बड़ी झूठी चेतावनी है जिससे लोग थक गए हैं

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    Priya Kanodia

    अक्तूबर 17, 2024 AT 05:38

    ये सब एक गुप्त अभियान है... उत्तर कोरिया के सैनिक नहीं... वो एआई ड्रोन्स हैं जो रूस के हाथों में हैं... और ज़ेलेंस्की जानता है... वो जानता है कि अगर वो ये बताएगा तो दुनिया उसे नहीं मानेगी... इसलिए वो उत्तर कोरिया का नाम ले रहा है... क्योंकि लोग उत्तर कोरिया को डरते हैं... लेकिन असल में ये सब कुछ डिजिटल है... और वो इसे छुपा रहा है... ये वायरस है... और ये बस शुरुआत है... अगला कदम... न्यूक्लियर ड्रोन्स... और फिर... तुम भी नहीं जान पाओगे कि तुम्हारी बातें किसके दिमाग में जा रही हैं...

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    Darshan kumawat

    अक्तूबर 18, 2024 AT 03:22

    बकवास।

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    Manjit Kaur

    अक्तूबर 19, 2024 AT 01:13

    ये सब धोखा है और तुम सब भी धोखे में आ गए हो अगर उत्तर कोरिया वाकई में सैनिक भेज रहा है तो ये दुनिया का अंत है लेकिन अगर नहीं तो तुम लोग बहुत आसानी से झूठ पर विश्वास कर लेते हो ज़ेलेंस्की एक नाटकीय अभिनेता है और तुम सब उसके दर्शक हो

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    Aman Upadhyayy

    अक्तूबर 20, 2024 AT 03:12

    ये सब बहुत बड़ा खेल है और मैं इसे बहुत गंभीरता से ले रहा हूं अगर उत्तर कोरिया ने अपने सैनिकों को भेज दिया तो ये दुनिया के लिए एक नया युग है जहां रूस और उत्तर कोरिया एक दूसरे के साथ गठबंधन कर रहे हैं और ये बहुत खतरनाक है क्योंकि अब ये दोनों देश एक दूसरे के लिए बहुत ज्यादा खतरनाक हो गए हैं और अगर ये गठबंधन बढ़ता रहा तो यूरोप के लिए बहुत बड़ी समस्या होगी और अगर तुम सोच रहे हो कि ये बस एक बयान है तो तुम गलत हो क्योंकि अब ये बयान नहीं बल्कि एक वास्तविकता बन रही है और इसका असर हम सब पर पड़ेगा 😔

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    ASHWINI KUMAR

    अक्तूबर 21, 2024 AT 00:18

    ये सब बहुत अजीब है क्योंकि अगर उत्तर कोरिया ने अपने सैनिकों को भेज दिया है तो ये एक बहुत बड़ी बात है लेकिन अगर नहीं तो ये सिर्फ एक बड़ा धोखा है जिसे ज़ेलेंस्की ने बनाया है ताकि वो अपने घर के अंदर की समस्याओं से ध्यान भटका सके और अगर तुम वाकई में इस बात को गंभीरता से लेना चाहते हो तो तुम्हें ये जानना होगा कि उत्तर कोरिया के सैनिकों की कोई भी फोटो या वीडियो नहीं है और न ही कोई विश्वसनीय स्रोत है जो इसे पुष्टि करे और अगर तुम इसे बस एक बयान के तौर पर ले रहे हो तो तुम एक बहुत बड़ी गलती कर रहे हो

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    Balaji T

    अक्तूबर 21, 2024 AT 22:55

    आप सभी जो इस बात को अत्यधिक गंभीरता से ले रहे हैं, वे अपने आप को एक राजनीतिक शो का भाग बना रहे हैं। उत्तर कोरिया के सैनिकों का यूक्रेन में हस्तांतरण का दावा, एक ऐसा आरोप है जिसकी पुष्टि के लिए न तो उपग्रह तस्वीरें हैं, न ही कोई वास्तविक खुफिया डेटा, न ही कोई सैन्य इकाई का नाम। यह एक विश्लेषणात्मक असफलता है, जिसे एक अप्रत्याशित राजनीतिक चाल के रूप में प्रस्तुत किया गया है। वैश्विक समुदाय को इस तरह के आरोपों के लिए अत्यधिक सावधान रहना चाहिए, क्योंकि ये सब एक भावनात्मक अभियान है जिसका उद्देश्य जनता को भ्रमित करना है। अगर यह सच होता, तो यह विश्व संघ के सुरक्षा परिषद की एक बैठक का विषय होता, न कि एक ट्वीट का।

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