स्वामी विवेकानंद: रोज़मर्रा में प्रेरणा का खज़ाना

जब आप सुबह उठते‑हुए थके‑थके महसूस करते हैं, तो एक बार स्वामी विवेकानंद के शब्दों को याद करें। उनका कहना था – "उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य नहीं पा लेते". इस सरल वाक्य में ऊर्जा का जादू छिपा है जो किसी भी चुनौती को आसान बना देता है.

विवेकानंद के प्रमुख विचार

1. आत्मविश्वास – उन्होंने कहा, "अभी आप में शक्ति नहीं, तो भरोसा रखिए कि आपके भीतर अनंत क्षमता है"। यह सिर्फ मोटीवेशन नहीं, बल्कि खुद को समझने का तरीका है.

2. सेवा – उनका मानना था कि सच्चा विकास तब होता है जब हम दूसरों की मदद करते हैं। छोटे‑छोटे काम, जैसे पड़ोसी के लिए दाल चावल लाना, भी बड़ी सेवा बन जाता है.

3. योग और ध्यान – उन्होंने रोज़ कम से कम 15 मिनट मेडिटेशन करने की सलाह दी थी। यह आपके मन को शान्त रखता है और फोकस बढ़ाता है.

रोज़मर्रा में लागू करने के तरीके

सुबह का रूटीन: अलार्म बजते ही फोन नहीं, बल्कि एक गहरी साँस लेकर पाँच मिनट ध्यान करें. फिर हल्का व्यायाम या स्ट्रेचिंग से शरीर को तैयार रखें.

लक्ष्य लिखें: नोटबुक में अपना छोटा‑छोटा लक्ष्य लिखें – जैसे "आज दो घंटे पढ़ाई" या "एक नया शब्द सीखना". हर दिन इस लिस्ट को चेक करें, इससे प्रगति दिखेगी.

सकारात्मक भाषा: स्वामी ने कहा था, "आप जो कहते हैं वही बनते हैं". नकारात्मक विचारों को बदलें – "मैं नहीं कर सकता" से "मैं कोशिश करूँगा" में.

सेवा का अवसर खोजें: अपने आस‑पास किसी की मदद के छोटे‑छोटे काम देखें। चाहे बुज़ुर्ग को दरवाज़ा खोलना हो या कचरा उठाना, ये सब आपकी आत्मविश्वास बढ़ाते हैं.

नियमित पढ़ाई: उनके उपदेशों में "ज्ञान ही शक्ति है" पर ज़ोर दिया गया है। रोज़ 20‑30 मिनट किसी प्रेरणादायक पुस्तक या लेख को पढ़ें – चाहे यह उनका खुद का "अभिषेक" हो या कोई आधुनिक मोटीवेशनल बुक.

इन छोटे‑छोटे कदमों से आप स्वामी विवेकानंद की ऊर्जा को अपने जीवन में उतार सकते हैं। याद रखें, बड़ा लक्ष्य तभी मिलता है जब हम रोज़ छोटे‑छोटे कदम बढ़ाते रहें. तो आज ही एक कदम उठाएँ – शायद सिर्फ पाँच मिनट का ध्यान या एक छोटा लक्ष्य लिखना.

स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि पर पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि, कहा- उनके उपदेश देते हैं लाखों को ताकत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वामी विवेकानंद की 122वीं पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। मोदी ने X पर स्वामी विवेकानंद के उपदेशों को लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बताया। उन्होंने विवेकानंद की ज्ञान और निष्ठा की प्रशंसा करते हुए उनके सपनों के भारत निर्मित करने का संकल्प दोहराया। स्वामी विवेकानंद भारतीय संस्कृति के प्रचारक थे, जिन्होंने ब्रह्मविद्या को पश्चिमी देशों में भी फैलाया।

द्वारा लिखित

Maanasa Manikandan, जुल॰, 4 2024