अगर आप फ़्रांस के राजनीतिक माहौल से रूबरू होना चाहते हैं तो लेपेन पार्टी पर नज़र जरूर डालें। यह दल 2012 में मारिन लेपेन ने बनाया और तबसे राष्ट्रीय आंदोलन (RN) नाम से जाना जाता रहा है। अब इसका नाम बदल कर "लेपेन पार्टी" हो गया, जिससे लोगों को साफ़ संकेत मिलता है कि नेता खुद ही मुख्य पहचान बन गए हैं।
लेपेन पार्टी की प्रमुख बातें बहुत सीधा‑सादा हैं: इमिग्रेशन पर कड़ा रुख, यूरोपीय संघ से कम निर्भरता और फ्रांस के कामगारों को प्राथमिकता देना। इस दृष्टिकोण ने उन वर्गों का ध्यान खींचा जो आर्थिक असुरक्षा या सांस्कृतिक बदलाव से परेशान थे। इन मुद्दों पर पार्टी की आवाज़ अक्सर तेज़, कभी‑कभी विवादस्पद लगती है, लेकिन वही इसे अलग बनाता है।
लेपेन ने 2014 में यूरोपीय संसद चुनाव में अपनी पहली बड़ी जीत हासिल की, जहाँ उन्होंने लगभग 25% वोट पाकर कई सीटें जीतीं। 2017 के फ्रांसीसी राष्ट्रपति चुनाव में लेपेन को दूसरी जगह मिली – 21.3% वोट, जो दिखाता है कि उनका प्रभाव धीरे‑धीरे बढ़ रहा है। इस बीच पार्टी ने इमिग्रेशन और सुरक्षा पर कठोर नीति अपनाई, जिससे कई बड़े शहरों में विरोध प्रदर्शन भी हुए। फिर भी, उनकी सख़्त रैडिकली सेंटर‑राइट पॉलिसी ने ग्रामीण इलाकों में गहरी पकड़ बनाई।
2022 के राष्ट्रपति चुनाव में लेपेन ने 10% से अधिक वोट नहीं जुटा सके, लेकिन इसने कई छोटे‑छोटे क्षेत्रों में अपना समर्थन बनाए रखा। पार्टी अब यूरोपीय संसद में सबसे बड़ी वैकल्पिक आवाज़ों में से एक है, जिससे उन्हें EU स्तर पर भी ध्यान मिला है।
लेपेन पार्टी के पास कुछ प्रमुख नीति प्रस्ताव हैं: पहला, इमिग्रेशन को घटाना और मौजूदा आप्रवासियों का तेज़ी से असंतोष समाप्त करना; दूसरा, यूरोपीय संघ के साथ व्यापार समझौते को फिर से चर्चा में लाना; तीसरा, राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ावा देना, जिसमें पुलिस की ताकत बढ़ाना शामिल है। ये बिंदु अक्सर मीडिया में हेडलाइन बनाते हैं और सार्वजनिक बहस का हिस्सा होते हैं।
भविष्य की बात करें तो लेपेन पार्टी के लिए सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या वह अपनी बेसिक वोटर बेस को बड़े शहरों तक बढ़ा पाएगा या सिर्फ ग्रामीण इलाकों में ही सीमित रहेगा। सामाजिक मीडिया, युवा वर्ग और ऑनलाइन अभियानों पर ध्यान देना अब उनके लिए ज़रूरी हो गया है। यदि वे इन क्षेत्रों में भरोसा जीत लेते हैं तो अगले चुनाव में उनका दांव और बड़ा हो सकता है।
सारांश में, लेपेन पार्टी फ्रांस की राजनीति में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बन गई है। चाहे आप इस पर सहमत हों या नहीं, इसके विचारों ने राष्ट्रीय चर्चा को ज़रूर बदल दिया है। अब समय आएगा जब यह देखना होगा कि उनका संदेश आगे कितना गहराई तक पहुंचता है और क्या वे सत्ता के दांव में कदम रख पाते हैं।
फ्रांस के विदेश क्षेत्रों और विदेशों में रहने वाले प्रवासी मतदाताओं ने संसदीय चुनाव के दूसरे दौर की शुरुआत की, जिससे राष्ट्रवादी दक्षिणपंथी आंदोलन को ऐतिहासिक जीत मिल सकती है। नेशनल रैली पार्टी ने पहले दौर में बढ़त बनाई, जबकि दूसरे दौर का मतदान 6 जुलाई को शुरू हुआ।