खो खो का पूरा गाइड – नियम, तकनीक और प्रशिक्षण

क्या आप कभी स्कूल या मोहल्ले में खेले गये वो तेज‑तर्रार खेल याद करते हैं? वही है खो खो, एक ऐसा भारतीय खेल जो शारीरिक ताकत और दिमागी फुर्ती दोनों का टेस्ट लेता है। अगर आप नई टीम ज्वाइन करना चाहते हैं या सिर्फ़ इस खेल को समझना चाहते हैं, तो यह गाइड आपके लिए बना है। नीचे हम नियम, बेसिक तकनीक और प्रैक्टिस टिप्स को सरल शब्दों में बता रहे हैं, ताकि आप जल्दी से शुरू कर सकें।

बुनियादी नियम और खेल की समझ

खो खो दो टीमों के बीच खेला जाता है, हर टीम में सात खिलाड़ी होते हैं – एक चेसर (चेज़) और छह रनर। मैदान का आकार 27 × 27 मीटर होता है, जिसमें दो साइड‑लाइन होती हैं। चेसर को ‘छाप’ मारनी होती है, यानी वह रनों पर दौड़ते हुए उन्हें टैग करता है या उनके पैर के नीचे से पास होकर बाहर निकलता है। एक बार रनर आउट हो जाए तो नई खिलाड़ी उस जगह लेती है और खेल चलता रहता है।खेल का लक्ष्य ज्यादा से ज्यादा रनों को सुरक्षित बनाना और विरोधी टीम को जल्दी‑जल्दी आउट करना है। प्रत्येक इनिंग में दो आऊट होते हैं – पहला ‘स्लाइड’ (रनर को पैर के नीचे से स्लाइड करके बाहर निकालना) और दूसरा ‘टैग’। एक बार दोनों आउट हो जाएँ तो अगला राउंड शुरू होता है।

प्रैक्टिस टिप्स और फिटनेस के उपाय

खो खो में तेज़ी, फुर्ती और एगिलिटी सबसे जरूरी हैं। इसलिए अपने वॉर्म‑अप में जंपिंग जैक्स, हाई नीज़ और स्ट्रेचिंग शामिल करें। हर सत्र कम से कम 15 मिनट की कार्डियो रूटीन रखें, जैसे कि दो-तीन लेप के लिए ट्रैडमिल या बाहर दौड़ना। इससे आपकी स्टेमिना बढ़ेगी और मैच में थकान नहीं होगी।

तकनीक पर काम करने के लिये ‘छाप‑मारना’ अभ्यास करना चाहिए। एक दोस्त को चेसर बनाकर उसकी पीठ पर धीरे‑धीरे टैग करें, फिर दूरी कम करके तेज़ गति से प्रयास करें। रनर्स को ‘स्लाइड’ की प्रैक्टिस करनी चाहिए – जमीन पर फर्श के साथ स्लाइड करने का तरीका सीखें ताकि आप आसानी से बाहर निकल सकें।

ड्रिल्स में सबसे असरदार है ‘कोर्नर‑टैग’: चार कोनों पर खड़े हों और एक खिलाड़ी बीच में चेसर बनकर टैग करे, बाकी रनर्स को हर कोने तक पहुँचना होता है। यह ड्रिल एगिलिटी, स्पीड और दिशा बदलने की क्षमता को बढ़ाता है।

खेल के दौरान सही फुटवियर बहुत मायने रखता है। हल्के सॉक्स वाले जूते चुनें जो ग्रिप देने वाला सोल हो; इससे फिसलने का खतरा कम होगा। साथ ही, हाइड्रेशन न भूलें – पानी या इलेकट्रोलाइट ड्रिंक हर 30 मिनट में पिएँ।

अगर आप टीम बनाना चाहते हैं तो स्थानीय स्कूल, कॉलेज या कॉम्प्लेक्स में खो खो क्लब खोजें। अक्सर वे फ्री ट्रायल सत्र रखते हैं जहाँ आप कोच से सीधे टिप्स ले सकते हैं। शुरुआती लोगों के लिये छोटे‑छोटे मैच आयोजित करना भी अच्छा रहता है; इससे खेल की समझ और टीमवर्क दोनों बढ़ता है।

अंत में, याद रखें कि खो खो मज़ेदार होना चाहिए। जीत या हार के बजाय हर राउंड का आनंद लें, नए फ़ीचर्स सीखें और लगातार प्रैक्टिस करें। थोड़ी मेहनत और नियमित अभ्यास से आप जल्दी ही फील्ड पर तेज़ और भरोसेमंद बनेंगे। अब तैयार हैं? अपने जूते पहनिए और आज ही खेल शुरू कीजिए!

भारतीय महिला टीम ने खो खो विश्व कप में बनाई नई पहचान

भारतीय महिला खो खो टीम ने पहले खो खो विश्व कप में नेपाल पर 78-40 से शानदार जीत दर्ज की। इस जीत के साथ ही उन्होंने पहली बार इस टूर्नामेंट की ट्रॉफी अपने नाम की। कप्तान प्रियांका इंगले की कुशल नेतृत्व और टीम की रणनीतिक कौशल ने उन्हें यह उपलब्धि दिलाई। खेल का यह आयोजन इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में हुआ।

द्वारा लिखित

Maanasa Manikandan, जन॰, 20 2025