कभी अचानक दिल तेज़ धड़कता है, हाथ पैर काँपते हैं या बेवजह डर लगता है? यही एंग्जायटि (चिंता) की शुरुआती सिग्नल हो सकते हैं। कई लोग इसे सिर्फ ‘तणाव’ समझ लेते हैं, लेकिन लगातार रहने पर यह रोज़मर्रा के कामों को भी प्रभावित कर सकता है। चलिए, सरल शब्दों में जानते हैं कि कब एंग्जायटि आपके जीवन में दखल दे रही है और क्या करें?
सामान्यतः एंग्जायटि दो तरह की होती है – अक्यूट (तेज़) और क्रोनिक (लंबी अवधि). अक्यूट में आप अचानक घबराहट, सांस फूलना, या छाती में दबाव महसूस कर सकते हैं। क्रोनिक एंग्जायटि में लगातार बेचैन रहना, नींद न आना, काम पर ध्यान न लग पाना और छोटी‑छोटी बातों से भी मन बुरी तरह उलझ जाना शामिल है। अगर ये लक्षण दो‑तीन हफ्ते से ज्यादा चल रहे हों तो इसे गंभीरता से लेना चाहिए।
सबसे पहला कदम है अपने शरीर और दिमाग को शांत करने वाले साधारण ट्रिक अपनाना:
इन छोटे‑छोटे बदलावों को रोज़ाना अपनाने से एंग्जायटि की तीव्रता कम हो सकती है। लेकिन अगर आपको लगातार नींद न आने, काम में बार‑बार गलती करने या आत्महत्या के विचार आते हों तो तुरंत प्रोफेशनल मदद लें।
प्रोफ़ेशनल सहायता में मनोवैज्ञानिक से काउंसलिंग, थैरेपी (जैसे CBT) और डॉक्टर की सलाह पर दवाइयाँ शामिल हो सकती हैं। याद रखें, एंग्जायटि एक बीमारी नहीं बल्कि शरीर का अलर्ट सिस्टम है; सही दिशा‑निर्देश से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
अंत में, यह समझना ज़रूरी है कि आप अकेले नहीं हैं। भारत में कई हेल्पलाइन और ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म उपलब्ध हैं जहाँ आप मुफ्त में परामर्श ले सकते हैं। छोटी-छोटी जीतें मिलकर बड़ी बदलाव लाती हैं – तो आज ही एक कदम उठाएँ, अपने मन को थोड़ा आराम दें और एंग्जायटि को पीछे छोड़ने की राह शुरू करें।
शिकागो के फ्रीलांस लेखक नोहा बर्लात्सकी द्वारा पिक्सार की नई फिल्म 'इनसाइड आउट 2' पर उनके दृष्टिकोण को साझा किया गया है। इस फिल्म में राइली, जो अब 13 वर्षीय है, अपने आदोलसेंस के नए भावनाओं के साथ संघर्ष करती है, जिसमें एंग्जायटी भी शामिल है। नोहा ने राइली की एंग्जायटी के साथ अपने अनुभव साझा किए हैं, यह बताते हुए कि यह कैसी बेकाबू हो सकती है।