ब्रेन-ईटिंग अमीबा: क्या है, कैसे पहचानेँ और बचाव के टिप्स

आपने शायद सुना होगा ‘ब्रेन‑इटिंग अमीबा’ नाम से. यह नाइग्रेलिया फॉव्लेरी नाम की एक एकलकोशिकीय जीवाणु है जो गर्म, मीठे पानी में रहती है। जब कोई गिलास या पूल का जल पी लेता या नाक में डाल देता है तो वह सीधे मस्तिष्क तक पहुंच सकती है और बहुत तेज़ी से बीमारी पैदा कर देती है.

मुख्य लक्षण और कब डॉक्टर को दिखाएँ

संक्रमण के शुरुआती १‑३ दिन में सिरदर्द, बुखार, उल्टी या गर्दन दर्द जैसे सामान्य फ्लू जैसा महसूस हो सकता है. लेकिन जल्दी ही मस्तिष्क सूजन (मेंब्रेन इडिमा) के कारण भ्रम, प्रकाश से डर, सुनाई देने वाले आवाज़ें और कभी‑कभी दौरे पड़ सकते हैं. अगर इनमें से कोई भी लक्षण दो‑तीन दिन में बढ़े तो तुरंत अस्पताल जाएँ, क्योंकि इलाज देर होने पर अक्सर घातक हो जाता है.

रोकथाम के आसान उपाय

सबसे बड़ा बचाव तरीका पानी को सुरक्षित रखना है. गर्मी वाले इलाकों में अगर आप झील, नदी या किसी खुले पूल में नहाते हैं तो नाक में पानी जाने से रोकने के लिए नासिकाबंध (नोज क्लिप) इस्तेमाल करें. घर के जल टैंक और एसी कूलर को हर दिन साफ़‑सफ़ाई रखें, क्योंकि स्थिर पानी ही इस जीव को बढ़ावा देता है. यदि आप यात्रा पर हैं तो बोतलबंद पानी पीएँ या उबालकर ठंडा किया हुआ पानी उपयोग करें.

यदि किसी व्यक्ति को जलजनित संक्रमण का शंका हो तो डॉक्टर से तुरंत “नाइग्रेलिया फॉव्लेरी” टेस्ट करवाएँ. शुरुआती दवा (अम्फोटेरिसिन‑बी) और इंट्रावेनस सपोर्ट से कई केस में रोगी ठीक भी हो जाता है, इसलिए देर न करें.

समाचारों में अक्सर इस जीव के नए मामले आते रहते हैं, खासकर गर्मियों में. लेकिन याद रखें कि हर साल लाखों लोग इन जल स्रोतों का उपयोग करते हैं और सिर्फ़ सतर्क रहकर आप खुद को सुरक्षित रख सकते हैं. रोज़मर्रा की छोटी‑छोटी आदतें जैसे नाक साफ़ रखना, पानी के तापमान पर नजर रखना, और सार्वजनिक स्विमिंग पूल में नियम पालन करना काफी मददगार होते हैं.

तो अगली बार जब आपको ठंडा या गर्म पानी मिले, तो थोड़ा सोचिए – क्या यह सुरक्षित है? छोटी‑सी सावधानी से आप बड़ी बीमारी से बच सकते हैं. ब्रेन-ईटिंग अमीबा के बारे में अगर और सवाल हों तो हमारे अन्य लेख पढ़ें या कमेंट सेक्शन में पूछें.

केरल में ब्रेन-ईटिंग अमीबा का कहर: चार मामले, तीन बच्चों की मौत; राजस्थान में अलर्ट

केरल में ब्रेन-ईटिंग अमीबा संक्रमण के चार मामले सामने आए हैं, जिनमें तीन बच्चों की मौत हो चुकी है। एक केस समय रहते इलाज से बच पाया। संक्रमण गंदे ताजे पानी से नाक के जरिए दिमाग में पहुंचता है और तेजी से घातक होता है। राजस्थान में भी अलर्ट जारी है।

द्वारा लिखित

Maanasa Manikandan, जून, 8 2025