केरल में ब्रेन-ईटिंग अमीबा का कहर: चार मामले, तीन बच्चों की मौत; राजस्थान में अलर्ट

ब्रेन-ईटिंग अमीबा: बच्चों की जान पर खतरा

केरल में ब्रेन-ईटिंग अमीबा (*Naegleria fowleri*) की वजह से खौफ फैल गया है। मई 2024 से लेकर जुलाई की शुरुआत तक पांच से चौदह साल के चार बच्चों में संक्रमण की पुष्टि हुई है। इन चार में से तीन बच्चों ने अपनी जान गंवा दी—मलप्पुरम की पांच साल की बच्ची की 21 मई को, कन्नूर की 13 साल की किशोरी की 25 जून को और कोझिकोड के 14 साल के लड़के की 4 जुलाई को मौत हो गई। चौथा मामला कोझिकोड के पय्योल्ली का है, जिसमें 14 वर्षीय लड़का वक्त रहते इलाज से बच गया। उसकी जान इम्पोर्टेड दवाओं और समय पर निदान से बच पाई।

यह अमीबा गंदे और गर्म ताजे पानी वाले स्रोतों—तालाब, नदी, झील में पनपता है। जब इंसान इस तरह के पानी में तैरता या नहाता है और वह पानी नाक के भीतर जाता है, तो ये सूक्ष्मजीव नाक के रास्ते से दिमाग तक पहुँच जाते हैं। वहां वे ब्रेन टिशू को नष्ट करने लगते हैं, जिससे कुछ ही दिनों में हालत बेहद गंभीर हो जाती है।

  • लक्षण अचानक तेज सिर दर्द, बुखार, उल्टी, और कुछ ही समय में बेहोशी व मानसिक स्थिति बदलना मुख्य लक्षण हैं।
  • संक्रमण अक्सर इतना तेज़ होता है कि एक से 18 दिनों के भीतर कोमा या मौत हो सकती है।

ब्रेन-ईटिंग अमीबा यानी Naegleria fowleri का संक्रमण भारत में बहुत दुर्लभ है, लेकिन जब होता है तो ट्रैजिक नतीजे सामने आते हैं। साल दर साल गर्मियों और बरसात में इसका खतरा बढ़ जाता है क्योंकि उस वक्त पानी गर्म और गंदा होता है—अमीबा को यही माहौल चाहिए।

सावधानी का वक्त: सरकार और विशेषज्ञों की सलाह

केरल के मुख्यमंत्री पिनारायी विजयन ने बच्चों की मौत और बढ़ते मामलों के देखते हुए एक हाई-लेवल बैठक बुलाई। इसमें साफ कहा गया—लोग तालाबों, पोखरों, या गंदे नालों के पानी में न जाएं, खासकर बच्चे।

इसके अलावा प्रशासन ने गंदे पानी वाले सार्वजनिक स्थलों को क्लोरीन से साफ करने, पब्लिक को सतर्कता बरतने और जल स्रोतों की मैपिंग के निर्देश दिए हैं। स्वास्थ्य अधिकारियों और एक्सपर्ट्स ने खासतौर पर यह बताया कि नहाते वक्त पानी को नाक में जाने से रोकें और गंदे पानी से दूर रहें। पानी का क्लोरीनेशन संक्रमण रिस्क कम कर सकता है।

राजस्थान में अभी तक कोई केस रिपोर्ट नहीं, लेकिन वहां भी बारिश के मौसम में नदियों, तालाबों और जलाशयों में जाने वाले लोगों के लिए खतरा है। वहां के स्वास्थ्य विभाग ने एडवाइजरी जारी की है—लोग बरसात में विशेष सतर्कता बरतें, बच्चों को विशेष रूप से ध्यन में रखें।

इस ईयरली घातक रोग की शुरुआती पहचान और फौरन इलाज से ही जान बचाई जा सकती है। समय रहते जांच, विदेशी दवाएं और सपोर्टिव ट्रीटमेंट ही फिलहाल उपचार हैं। स्वास्थ्य सिस्टम चौकस है, लेकिन आम लोगों की जागरूकता सबसे बड़ी रक्षा है।

Maanasa Manikandan

Maanasa Manikandan

मैं एक पेशेवर पत्रकार हूं और भारत में दैनिक समाचारों पर लेख लिखती हूं। मेरी खास रुचि नवीनतम घटनाओं और समाज में हो रहे परिवर्तनों पर है। मेरा उद्देश्य नई जानकारी को सरल और सटीक तरीके से प्रस्तुत करना है।