पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारत की अभूतपूर्व सफलता
पेरिस पैरालंपिक 2024 दूसरे दिन का इतिहास भारतीय खेलों के लिए विशेष रूप से यादगार बन गया जब भारतीय पैरा खिलाड़ियों ने अपनी मेहनत और लगन से शानदार प्रदर्शन किया। इस दिन भारत को कई महत्वपूर्ण पदक हासिल हुए, जिनमें अवनी लेखरा का स्वर्ण पदक जीतना प्रमुख है।
अवनी लेखरा की ऐतिहासिक जीत
अवनी लेखरा ने महिला 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग इवेंट में स्वर्ण पदक जीतकर पूरे देश को गर्व महसूस कराया। अवनी का यह प्रदर्शन भारतीय para-sports इतिहास में एक और सुनहरा पन्ना जोड़ देता है। उनके दिग्गज प्रदर्शन ने सभी को प्रेरित किया है और उन्होंने यह साबित कर दिया है कि समर्पण और दृढ़ इच्छाशक्ति से किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।
अवनी का ये स्वर्ण पदक उनके टैलेंट और कठिन परिश्रम का परिणाम है। उन्होंने ना सिर्फ अपने विरोधियों को पराजित किया बल्कि अपने देशवासियों को भी गौरवान्वित किया। यह जीत अवनी के लिए एक नए युग की शुरुआत है और वे आगे भी इसी उत्साह के साथ खेलती रहेंगी।
मोना जायसवाल की लगातार उपलब्धि
मोना जायसवाल ने भी अपनी मैच में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए कांस्य पदक जीता। उनका यह पदक भारतीय टीम के लिए एक और प्रतिष्ठा का मुद्दा बना। मोना ने अपनी इस जीत से यह साबित किया कि भारतीय पैरा एथलीट्स में असीम संभावनाएँ हैं।
मोना का यह प्रदर्शन उनके कड़ी मेहनत और खेल के प्रति समर्पण का परिणाम है। उनका यह पदक उनके करियर के साथ-साथ भारतीय para-games के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है।
प्रीति राज की उल्लेखनीय सफलता
इसके बाद प्रीति राज ने भी अपनी प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीतकर भारतीय टीम को खुशी का एक और मौका दिया। प्रीति का यह पदक उनकी संघर्षशीलता और उच्च खेल कौशल का प्रमाण है।
प्रीति की यह सफलता भारतीय पैरा-खेलों की बढ़ती प्रसिद्धि और ताकत को दर्शाती है। उनके इस कांस्य पदक ने ना सिर्फ उनके परिवार बल्कि पूरे देश को गर्व महसूस कराया।
भारतीय टीम का उत्साह और भावी योजनाएँ
पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारतीय टीम की ये जीतें ना सिर्फ पदकों की संख्या बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि भारतीय खिलाड़ियों के आत्मविश्वास को भी बूस्ट करने का काम करती हैं। इन जीतों ने भारतीय पैरा एथलीट्स के मनोबल को नया जोश और उत्साह दिया है।
इन सफलताओं के बाद, अब सभी की नजरें भारतीय टीम के आगे के प्रदर्शन पर टिकी हैं। उम्मीद है कि भारतीय टीम इसी हौंसले और उत्साह के साथ खेलती रहेगी और देश का नाम रोशन करती रहेगी।
Nishu Sharma
अवनी लेखरा का ये स्वर्ण पदक सिर्फ एक जीत नहीं बल्कि एक नए युग की शुरुआत है जहाँ दिव्यांग खिलाड़ियों को बस देखा नहीं जाता बल्कि उनकी जीत को सलाम किया जाता है मैंने उनकी फाइनल शूट देखी थी और वो इतनी शांत थीं जैसे दुनिया रुक गई हो उनकी आँखों में वो अटूट दृढ़ता थी जो किसी भी लड़ाई में जीत का राज है और ये बस एक शूट नहीं बल्कि एक जीवन भर के संघर्ष का परिणाम है जिसमें उन्होंने न सिर्फ अपने शरीर को बल्कि समाज के पुराने विचारों को भी चुनौती दी है अब जब एक लड़की जो अपने आप को एक असमर्थ कहती है वो दुनिया की चोटी पर पहुँच गई है तो हम सबको ये समझना होगा कि असमर्थता का असली मतलब तो वो है जब तू खुद को असमर्थ मान ले अवनी ने अपने आप को कभी असमर्थ नहीं माना और इसीलिए वो जीत गई ये पदक उनका है लेकिन ये सबका है क्योंकि ये दिखाता है कि हमारा देश क्या कर सकता है अगर हम अपने बच्चों को सही जगह पर ले जाएँ और उन्हें अपना अधिकार दे दें
Shraddha Tomar
yo अवनी का ये गोल्ड बस एक शूट नहीं बल्कि एक स्पिरिचुअल मोमेंट है जैसे जब तू अपने अंदर की आवाज़ सुनता है और वो तुझे बोलती है कि तू कर सकता है और तू उसे फॉलो कर लेता है और फिर दुनिया तुझे देखती है और बोलती है वाह ये कौन है ये जीत टेक्निकल नहीं बल्कि ट्रांससेंडेंट है और ये बताता है कि जब तू अपने आत्मा को आजाद कर देता है तो बाहर की दुनिया तुझे बाधा नहीं बन सकती और ये बात सिर्फ खेल तक ही सीमित नहीं बल्कि हर जिंदगी के लिए एक बिग लेसन है जिंदगी में तू जो भी कर रहा है अगर तू अपने अंदर की आवाज़ को नहीं सुन रहा तो तू बस दूसरों की आवाज़ का रिसीवर है अवनी ने अपनी आवाज़ को सुना और दुनिया ने उसे रिसीव कर लिया
Priya Kanodia
क्या आपने कभी सोचा है कि ये सब किसके लिए है...? क्या आप जानते हैं कि ये पदक किसके पैसों से खरीदे गए हैं...? क्या आप जानते हैं कि ये सब एक बड़े नेताओं के नेटवर्क का हिस्सा है...? ये अवनी की जीत तो बहुत अच्छी लगी... लेकिन जब आप इस तरह की बड़ी जीत को देखते हैं तो आपको ये सोचना चाहिए कि इसके पीछे कौन खड़ा है...? क्या ये सब असली है...? या ये सिर्फ एक बड़ा ब्रांडिंग अभियान है...? जब आप इतने सारे पदक देखते हैं तो आपको ये सोचना चाहिए कि क्या ये सब असली खेल है या ये सिर्फ एक बड़ा धोखा है...? क्या आप जानते हैं कि इन खिलाड़ियों को कितना दबाव दिया जाता है...? क्या आप जानते हैं कि इनके घरों में क्या हो रहा है...? क्या आप जानते हैं कि इनके लिए ये पदक असली में कितना महत्व रखता है...? क्या आप जानते हैं कि ये सब एक बड़े राजनीतिक खेल का हिस्सा है...? क्या आप जानते हैं कि ये सब आपको दिखाने के लिए बनाया गया है...? क्या आप जानते हैं कि ये सब आपके लिए नहीं है...? क्या आप जानते हैं कि ये सब आपके दिमाग को बदलने के लिए है...? क्या आप जानते हैं कि ये सब आपके दिल को बदलने के लिए है...? क्या आप जानते हैं कि ये सब आपके विश्वास को बदलने के लिए है...? क्या आप जानते हैं कि ये सब आपके भविष्य को बदलने के लिए है...? क्या आप जानते हैं कि ये सब आपके बच्चों के भविष्य को बदलने के लिए है...?
Darshan kumawat
अवनी का स्वर्ण? बहुत बढ़िया। पर इसके बाद भी हमारे स्कूलों में डिसेबल्ड बच्चों के लिए रैम्प नहीं हैं। ये जीत तो टीवी पर दिखती है, लेकिन सड़कों पर नहीं।
Manjit Kaur
अवनी ने जीता तो जीता लेकिन ये सब बस एक नाटक है जो लोगों को भ्रमित करने के लिए बनाया गया है असली जीत तो वो है जब तू अपने घर की चारदीवारी में खुद को संभाल पाए और बाहर के पदक तो बस बाहरी दिखावा है
yashwanth raju
अवनी की जीत बहुत अच्छी लगी... लेकिन ये सब तो अभी तक बस एक फिल्म की तरह है जब तक हम अपने खेल के लिए बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं बनाएंगे तो ये सब बस एक दिन का जश्न होगा और फिर भूल जाएंगे जैसे हमने 2012 के बाद किया था
Aman Upadhyayy
अवनी लेखरा ने जीता तो जीता... पर ये देखो कि हमारे देश में अभी भी लाखों बच्चे बिना नहाए जी रहे हैं... और ये लोग तो बस एक गोल्ड मेडल के लिए जंग लड़ रहे हैं... जब तक हमारे बच्चे के लिए स्कूल नहीं बनेंगे तो ये पदक क्या फायदा...? 😔
ASHWINI KUMAR
ये सब बस एक बड़ा धोखा है। जब तक हमारे खिलाड़ियों को बेसिक न्यूट्रिशन नहीं मिलेगा, तब तक ये पदक बस टीवी पर दिखेंगे। मैंने देखा है कि बहुत से खिलाड़ी अपने घर में भी नहीं खा पाते। ये जीत का नाम है लेकिन असल में ये एक बड़ा झूठ है।
vaibhav kapoor
भारत की जीत! हमारे बच्चे अब जानेंगे कि हम क्या कर सकते हैं! ये जीत बस एक पदक नहीं, ये हमारे खून की गर्मी है!
Manish Barua
मैंने अवनी का शूट देखा... उसकी आँखों में कुछ ऐसा था जैसे वो दुनिया को बता रही हो कि तू कितना छोटा है... मैंने कभी नहीं सोचा था कि एक शूट इतना भावुक हो सकता है... ये बस खेल नहीं बल्कि एक अदालत है जहाँ असमर्थता को गिराया गया... और जब तू अपने अंदर की आवाज़ सुनता है तो दुनिया भी सुनने लगती है
Abhishek saw
इस जीत के बाद हमें अपनी नीतियों को फिर से सोचना होगा। खेल के लिए बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना, डिसेबल्ड बच्चों के लिए स्कूलों में एक्सेस, और खिलाड़ियों के लिए लाइफ सपोर्ट सिस्टम। ये सिर्फ जीत नहीं, ये एक जिम्मेदारी है।
TARUN BEDI
हमारे देश में जब तक एक बच्चा अपने घर में नहीं खा पाता, तब तक ये पदक बस एक धोखा है। ये जीत तो बहुत अच्छी है, लेकिन ये जीत तो बस एक अलग तरह की निराशा है क्योंकि हम अपने बच्चों को बेसिक जीवन का अधिकार नहीं दे पा रहे हैं। ये जीत तो एक बड़े विरोधाभास का प्रतीक है।
Shikha Malik
अवनी की जीत तो बहुत अच्छी लगी... लेकिन तुम्हें पता है कि उसके पिता ने इसके लिए कितना पैसा खर्च किया? और अब वो फिर से अपने घर में जाकर क्या करेंगे? जब तक हम खिलाड़ियों के लिए सेक्युरिटी नहीं बनाएंगे, तब तक ये सब बस एक नाटक है।
Hari Wiradinata
हमें इस जीत को बस एक पदक के रूप में नहीं देखना चाहिए। ये एक नई उम्मीद है। अब हमें इसे बनाए रखना होगा। ये जीत अब हमारी जिम्मेदारी है।
Leo Ware
ये जीत बस एक खिलाड़ी की नहीं, ये एक समाज की है। जब तू एक बच्चे को विश्वास देता है, तो वो दुनिया को बदल देता है।
Shraddha Tomar
अवनी की जीत के बाद अब हमें ये सोचना चाहिए कि क्या हम अपने बच्चों को उस तरह का विश्वास दे पा रहे हैं... या फिर हम उन्हें बस एक गोल्ड मेडल के लिए दबाव दे रहे हैं... जब तू एक बच्चे को बताता है कि तू बस एक जीत के लिए जिंदा है, तो तू उसकी आत्मा को मार रहा है... अवनी ने अपने आप को नहीं बताया कि वो जीत के लिए जिंदा है... उसने बस अपने अंदर की आवाज़ को सुना... और वो आवाज़ ने उसे जीत दिलाई... ये बस एक शूट नहीं... ये एक आत्मा का उठाना है