पेरिस 2024 ओलंपिक: भारतीय निशानेबाजों की ऐतिहासिक भागीदारी
पेरिस 2024 ओलंपिक खेलों की निशानेबाजी स्पर्धा का आरंभ 27 जुलाई से होने जा रहा है, और यह भारतीय खेल इतिहास के लिए अद्वितीय साबित हो सकता है। इस बार भारतीय दल में 21 सदस्य शामिल हैं, जो एक नया कीर्तिमान है। यह दल पिस्टल, राइफल और शॉटगन के 15 पदक स्पर्धाओं में अपनी दक्षता दिखाएगा।
प्रमुख खिलाड़ी और उनकी उपलब्धियां
इस बार भारतीय दल में शामिल प्रमुख खिलाड़ियों में मनु भाकर, ऐश्वर्य प्रताप सिंह तोमर, अंजुम मौदगिल, ऐलावेनिल वलारिवन, और सिफ्त कौर समरा का नाम शामिल है। मनु भाकर अपनी स्थिरता और लगन के लिए मशहूर हैं और उनसे इस बार भी बेहतरीन प्रदर्शन की उम्मीद है। ऐश्वर्य प्रताप सिंह तोमर ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने दुर्जेय प्रदर्शन से कई खिताब अपने नाम किए हैं।
अंजुम मौदगिल और ऐलावेनिल वलारिवन भी अपने शानदार रिकार्ड के साथ भारतीय टीम को मजबूत बनाएंगी। सिफ्त कौर समरा निशानेबाजी की नई उभरती हुई प्रतिभा हैं, जो अपने सटीक निशानों से सबको प्रभावित कर रही हैं।
मेल और महिला स्पर्धाओं का रोमांच
पेरिस 2024 में भारतीय निशानेबाज मेल और महिला दोनों स्पर्धाओं में हिस्सा लेंगे। यह मुकाबले चाटओरौ के नेशनल शूटिंग सेंटर में आयोजित किए जाएंगे, जो अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त है। भारतीय निशानेबाजों के प्रशिक्षण और तैयारी को देखते हुए उनसे बेहतरीन प्रदर्शन की उम्मीद की जा सकती है।
मिश्रित टीम का विशेष आकर्षण
पेरिस 2024 ओलंपिक में स्कीट मिश्रित टीम स्पर्धा पहली बार शामिल की जा रही है, जो इस आयोजन का विशेष आकर्षण होगा। भारत की ओर से अनंतजीत सिंह नरूका और महेश्वरी चौहान इस स्पर्धा में हिस्सा लेंगे। यह दोनों खिलाड़ी अपने-अपने क्षेत्र में माहिर हैं और अच्छी साझेदारी दिखाने की क्षमता रखते हैं। मिश्रित टीम स्पर्धा की इस नई शुरुआत से ओलंपिक में और अधिक रोमांचक बदलाव देखने को मिलेंगे।
भारतीय निशानेबाजों का ओलंपिक इतिहास
भारत ने अब तक ओलंपिक निशानेबाजी में कुल चार पदक जीते हैं। अंतिम पदक 2012 के लंदन ओलंपिक में आया था। पेरिस 2024 में भारतीय दल का लक्ष्य इस संख्या को बढ़ाना है। पिछले कुछ सालों में भारतीय निशानेबाजी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान कायम की है और कई नए रिकॉर्ड स्थापित किए हैं।
तैयारी और उम्मीदें
भारतीय निशानेबाजों ने इस बार की तैयारियों में कोई कसर नहीं छोड़ी है। कोचिंग स्टाफ और खिलाड़ियों ने मिलकर बेहद कठोर मेहनत की है। नई तकनीकों और उपकरणों का प्रयोग करते हुए भारतीय दल ने अपनी क्षमता को और अधिक निखारा है। प्रशंसकों की उम्मीदें इस बार बहुत ऊँची हैं और सभी खिलाड़ियों से बेहतरीन प्रदर्शन की उम्मीद की जा रही है।
यह देखना बेहद रोमांचक होगा कि भारतीय निशानेबाज पेरिस 2024 में अपने लिए और देश के लिए कौन-कौन से नए मील के पत्थर स्थापित करेंगे। पूरी टीम के साथ समस्त भारतीय खेल प्रेमियों की निगाहें अब पेरिस पर टिकी हुई हैं, जहां एक नया इतिहास लिखने की तैयारी चल रही है।
भारतीय निशानेबाजों के जबरदस्त हुनर और जज़्बे को सलाम, जिन्होंने न सिर्फ अपनी कठिनाइयों को पार करके यहाँ तक पहुंचे हैं, बल्कि देश को भी गौरवान्वित किया है। अब पेरिस के मंच पर एक बार फिर से भारतीय ध्वज को लहराने का समय आ गया है।
Shriya Prasad
ये तो बस देखने को मिल रहा है, जीत तो अभी बाकी है।
Shailendra Soni
मनु भाकर की स्थिरता का जिक्र हुआ, पर क्या कोई जानता है कि उनके ट्रेनिंग सेटअप में कितना डिजिटल एनालिसिस इस्तेमाल हो रहा है? मैंने एक इंटरव्यू में देखा था कि वो हर शॉट के बाद ब्रेथिंग पैटर्न को रिकॉर्ड करते हैं। ये टेक्नोलॉजी वाला अंदाज़ पहले कभी नहीं देखा गया था।
Sujit Ghosh
हमारे निशानेबाज अब तक जो कुछ भी कर रहे हैं, वो बस बेवकूफ़ी है। चीन और रूस के सामने ये लोग तो बच्चों की तरह फाड़ रहे हैं। अभी तक कोई पदक नहीं जीता, फिर भी ये रिपोर्ट्स लिख रहे हो? 😒
sandhya jain
जब हम निशानेबाजी के बारे में बात करते हैं, तो हम सिर्फ निशाने या पदक के बारे में नहीं सोच रहे होते... हम एक ऐसी चीज़ के बारे में सोच रहे होते हैं जो शांति के अंदर बनती है। जब एक निशानेबाज गोली चलाता है, तो वो अपने दिमाग़ को शून्य में ले जाता है। ये न कोई खेल है, न कोई प्रतियोगिता... ये तो एक ध्यान है। और इस ध्यान को बनाए रखने के लिए जो लोग रोज़ 5 बजे उठकर अभ्यास करते हैं, उनका देश के लिए योगदान किसी गोल्ड मेडल से कम नहीं।
Anupam Sood
यार इतनी ज्यादा बात क्यों कर रहे हो? जब तक गोल्ड नहीं मिलेगा तब तक ये सब बकवास है 😴🔥
Balaji T
मैं अपने विश्लेषण के अनुसार, भारतीय निशानेबाजों के प्रदर्शन की संभाव्यता को आंकने के लिए एक बहु-चरणीय गुणात्मक और मात्रात्मक ढांचे की आवश्यकता है, जिसमें उनके शारीरिक संरचना के आधार पर बॉडी मैकेनिक्स, एंट्री टाइमिंग, और फोकल एक्यूरेसी का विश्लेषण शामिल हो। वर्तमान रिपोर्ट्स बिल्कुल अनुपयुक्त हैं।
Nishu Sharma
मैंने निशानेबाजी के लिए एक ट्रेनिंग प्रोग्राम बनाया था जिसमें निशानेबाजों को बारिश के दौरान भी अभ्यास करने के लिए एक विशेष नमी-सहिष्णु गन स्टैंड डिज़ाइन किया गया था और वो आज भी इस्तेमाल हो रहा है अगर आपको डिटेल्स चाहिए तो मैं आपको लिंक भेज सकती हूँ वो बहुत अच्छा है
Priya Kanodia
क्या आपने कभी सोचा है कि ये सभी प्रशिक्षण... ये टेक्नोलॉजी... ये रिकॉर्ड्स... क्या ये सब किसी बाहरी शक्ति के लिए बनाया गया है? क्या ओलंपिक वास्तव में खेल है... या एक बड़ा मानसिक नियंत्रण प्रोग्राम है? जिसमें हमें विश्वास दिलाया जा रहा है कि हम जीत रहे हैं... जबकि सच तो बहुत अलग है...
Darshan kumawat
मनु भाकर के बारे में बात कर रहे हो? वो तो बस एक बार जीत गया था। अब तक कुछ नहीं।
Manjit Kaur
पदक तो तब मिलेंगे जब तुम अपने दिमाग को बंद कर दोगे और बस शूट कर दोगे। इतना सोचने से क्या होगा? जब तक तुम अपने आप को नहीं छोड़ पाओगे, तब तक तुम नहीं जीतोगे।
yashwanth raju
अरे भाई, ये लोग जो बातें कर रहे हैं, वो तो सब बहुत अच्छी है... लेकिन अगर तुम्हारे पास एक बेस्ट गन नहीं है, तो तुम बस गोली खा रहे हो। ये सब जो लिखा है, वो तो बस ड्रामा है।
Aman Upadhyayy
क्या तुमने कभी देखा है कि जब एक निशानेबाज गोली चलाता है, तो उसकी आँखों में एक अलग सी चमक होती है... वो चमक तो देश के लिए नहीं होती... वो तो खुद के लिए होती है... जब तुम एक गोली को बिल्कुल सही जगह पर भेज देते हो... तो तुम्हारा दिल ठहर जाता है... और तुम जान जाते हो कि तुम अकेले नहीं हो... तुम तो पूरे इतिहास के साथ जुड़ गए हो... 😢❤️
ASHWINI KUMAR
इतना लिखा है लेकिन अभी तक कोई पदक नहीं जीता। अगर इतना तैयार हैं तो जीतो ना। बस बातें कर रहे हो।