केपी शर्मा ओली ने सोमवार, 15 जुलाई 2024 को नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में चौथी बार शपथ ली। यह शपथ ग्रहण समारोह काठमांडू के शीतल निवास स्थित राष्ट्रपति कार्यालय में आयोजित हुआ। इस महत्वपूर्ण अवसर पर कई वरिष्ठ नेता और गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।
ओली को यह मौका तब मिला जब वर्तमान प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहाल संसद के फ्लोर टेस्ट में बहुमत हासिल करने में विफल रहे। इसके बाद, नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा के समर्थन से ओली ने प्रधानमंत्री पद के लिए अपना दावा पेश किया, जिसमें उन्होंने 166 विधायकों के हस्ताक्षर दिए। इससे उन्हें बहुमत प्राप्त हो गया।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ओली को उनके नियुक्ति पर बधाई दी। मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म 'एक्स' पर लिखा, 'शुभकामनाएं @kpsharmaoli आपकी नियुक्ति पर। हमारे दो देशों के बीच गहरे मित्रतापूर्ण संबंधों को और मजबूती देने तथा हमारी पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग को बढ़ाने के लिए काम करने की उम्मीद करता हूं।'
ओली के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती संसद से विश्वास मत प्राप्त करने की है। संविधान के अनुसार, उन्हें अपनी नियुक्ति के 30 दिनों के भीतर 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में कम से कम 138 वोट हासिल करने होंगे।
पिछले तीन बार के कार्यकाल के दौरान, ओली ने कई बड़े मुद्दों को हल करने में सक्षम रहे हैं। वह चीन के साथ बेहतर संबंध स्थापित करने और भारत के साथ पुराने अच्छे संबंधों को पुनर्जीवित करने के लिए जाने जाते हैं। उनके समर्थकों का मानना है कि वह इस बार भी इन्हें सफलतापूर्वक पूरा करेंगे।
केपी शर्मा ओली 1994 में पहली बार प्रधानमंत्री बने थे, और यह उनका चौथा कार्यकाल है। उनके प्रशंसक उन्हें एक दृढ़संकल्प नेता मानते हैं, जो कठिन परिस्थितियों में भी अपने सिद्धांतों पर अडिग रहते हैं। उनके पिछले कार्यकालों में, उन्होंने नेपाल की राजनीतिक स्थिरता और आर्थिक सुधारों के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं।
अब, जब ओली ने शपथ ले ली है, तो उनकी पार्टी को संसद में विश्वास मत हासिल करने की चुनौती का सामना करना पड़ेगा। उन्हें 138 वोटों की आवश्यकता है। नेपाली समाजवादी पार्टी और कुछ अन्य स्वतंत्र विधायक उनके समर्थन में आ सकते हैं, जो उनके लिए महत्वपूर्ण होगा।
यह देखना दिलचस्प होगा कि ओली कैसे इस बार अपनी पार्टी और गठबंधन को एकजुट रखते हुए संसद से विश्वास मत प्राप्त करेंगे। यह नेपाल की राजनीतिक स्थिरता और विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण होगा।
नेपाल और भारत के बीच लंबे समय से सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक संबंध हैं। ओली और मोदी के बीच अच्छे संबंधों के कारण, उम्मीद की जा रही है कि दोनों देशों के बीच सहयोग और भी मजबूत होगा। भारत ने हमेशा नेपाल की संप्रभुता और एकता का समर्थन किया है और विभिन्न परियोजनाओं में सहायता प्रदान की है।
ओली के नए कार्यकाल से दोनों देशों के संबंधों में और सुधार की उम्मीद की जा रही है। नेपाल की जनता भी इस संबंध को अत्यधिक महत्व देती है, क्योंकि यह दोनों देशों के लिए लाभदायक होता है।
प्रधानमंत्री के रूप में ओली की प्राथमिकताओं में देश की आर्थिक स्थिति को सुधारना, बेरोजगारी को कम करना, और बुनियादी ढांचे का विकास शामिल है। उन्होंने संकल्प लिया है कि वह नेपाल को एक विकसित और प्रगतिशील राष्ट्र बनाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।
ओली के नेतृत्व में, नेपाल ने पिछले कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं शुरू की थीं जिनका उद्देश्य देश के ग्रामीण इलाकों में सुधार करना था। उन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा और बुनियादी सुविधाओं में सुधार के लिए कई योजनाएं भी लागू की थीं।
आने वाले समय में ओली को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। उन्हें ना केवल संसद में बहुमत साबित करना है, बल्कि देश की जनता के विश्वास को भी जीतना है। उनके समर्थक और आलोचक दोनों उनके निर्णय पर नजर रखेंगे।
ओली का नेतृत्व नेपाल के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण होगा। उनके पास अनुभव और क्षमता है, लेकिन उन्हें अपने सभी फैसले नेपाल के हित में लेने होंगे।
कुल मिलाकर, यह देखना दिलचस्प होगा कि ओली अपने चौथे कार्यकाल में नेपाल को किस दिशा में ले जाते हैं। शपथ ग्रहण की इस ऐतिहासिक घटना ने नेपाल की राजनीति में एक नई दिशा दी है, और सभी की नजरें अब ओली पर होंगी।