रेखा गुप्ता का नाम अचानक सुर्खियों में तब आया जब बीजेपी ने उन्हें 2025 विधानसभा चुनाव जीतने के बाद दिल्ली की मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया। बीजेपी के भीतर इस पद के लिए काफी माथापच्ची हुई। शुरुआती चर्चाओं में मनजिंदर सिंह सिरसा, रेखा गुप्ता और परवेश वर्मा के नाम सामने आए थे। लेकिन, परवेश वर्मा को सीएम की रेस से बाहर कर बीजेपी ने नया संदेश देने की कोशिश की।
रेखा गुप्ता ने शालीमार बाग सीट पर आम आदमी पार्टी की बंदना कुमारी को 29,595 वोटों के भारी अंतर से हराया। उनकी कुल जीत 68,200 वोटों की रही। दिलचस्प बात यह भी रही कि परवेश वर्मा ने नई दिल्ली सीट पर स्वयं अरविंद केजरीवाल को हराया था, जिसकी वजह से राजनीतिक गलियारों में उनको मुख्यमंत्री बनने का दावेदार बनाकर देखा जा रहा था। पर पार्टी ने संसदीय बोर्ड की मीटिंग के बाद आखिरकार रेखा को ही अपना अगला चेहरा चुना।
बीजेपी का यह फैसला महिला नेतृत्व को बढ़ावा देने की नई रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। रेखा दिल्ली की चौथी महिला मुख्यमंत्री बनी हैं। उनसे पहले सुषमा स्वराज, शीला दीक्षित और आतिशी मार्लेना (दिल्ली विधानसभा की अंतरिम सीएम) बनी थीं। यह 2014 के बाद पहली बार है जब किसी राज्य में बीजेपी ने महिला मुख्यमंत्री नियुक्त की है।
सीएम पद से परवेश वर्मा का नाम हटाने के कई मायने हैं। दिल्ली में उनकी जीत बहुत हाई-प्रोफाइल रही, लेकिन पार्टी ने साफ़ कर दिया है कि पोस्ट पर काबिलियत, संगठन का अनुभव और नए सियासी समीकरणों का भी अहम रोल है। वर्मा को डिप्टी सीएम बनाया गया है, वहीं विधानसभा स्पीकर के लिए बीजेपी के वरिष्ठ नेता विजेंदर गुप्ता को चुना गया है। इस तरह दिल्ली बीजेपी की नई सत्ता शैली और चेहरे सामने आ चुके हैं।
रेखा पिछले कई सालों से स्थानीय राजनीति में सक्रिय रही हैं। वे पहले दिल्ली यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन की अध्यक्ष बन चुकी हैं और म्युनिसिपल काउंसिल में भी अपनी पकड़ साबित कर चुकी हैं। यही उनकी जमीनी पकड़ और जनसंपर्क आज उनके मुख्यमंत्री बनने की सबसे बड़ी वजह बनी।
रेखा ने अपने सार्वजनिक भाषणों में दिल्ली की परेशानियों जैसे बुनियादी ढांचे, ट्रैफिक, जल निकासी, और गवर्नेंस सुधारों पर फोकस करने की बात कही है। एक बड़ी चुनावी जीत और संगठन में मजबूत कद के साथ अब उन पर दिल्ली के शहरी ढांचे को दुरुस्त करने, महिलाओं की सुरक्षा, यातायात व्यवस्था और प्रदूषण जैसी गंभीर चुनौतियों से जूझने की जिम्मेदारी है।
रेखा की टीम में अब नई ऊर्जा और महिला नेतृत्व का कॉम्बिनेशन दिखेगा। दिल्ली के लिए यह बदलाव पार्टी की ताकत, ताजा सोच और सामाजिक प्रतिनिधित्व का नया संकेत है। देश की राजधानी के सियासी माहौल में इस परिवर्तन ने सबका ध्यान खींचा है, और कट्टर राजनीतिक मुकाबलों के बीच बीजेपी ने अपने फैसले से राजनीतिक संदेश भी दे दिया है।