15 अप्रैल 2025 की सुबह अफगानिस्तान के हिन्दूकुश क्षेत्र में धरती फिर कांप उठी। रिक्टर स्केल पर 5.6 तीव्रता के इस भूकंप का केंद्र बघलान शहर से 164 किलोमीटर पूर्व में था। 1 लाख 8 हजार की आबादी वाले इस इलाके में इसका असर ज्यादा महसूस हुआ। भूकंप 121 किलोमीटर गहराई में आया, जिसकी वजह से झटके दूर-दूर तक पहुंचे। दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत के कई हिस्सों में भी लोगों को तेज झटका महसूस हुआ। सोशल मीडिया पर दिल्ली के कई लोगों ने कहा कि घरों में पंखे हिलने लगे और कुछ सेकंड के लिए जमीन डोल गई। शुरुआत में झटका 6.4 तीव्रता का बताया गया, लेकिन बाद में यूरोपीय-मैडिटरेनीयन सिस्मोलॉजिकल सेंटर ने इसे संशोधित करके 5.6 बताया।
वैज्ञानिकों के मुताबिक हिन्दूकुश पर्वत क्षेत्र पूरी दुनिया के सबसे सक्रिय भूकंपीय इलाकों में गिना जाता है। दरअसल अफगानिस्तान भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेट्स की सीमा पर बसा है, जिससे यहां अक्सर भूचाल आते रहते हैं। हाल के सालों में अफगानिस्तान इसी वजह से भारी जान-माल के नुकसान झेल चुका है। संयुक्त राष्ट्र की मानवीय एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि लगातार आती इस तरह की प्राकृतिक आपदाएं पहले से संघर्ष, गरीबी और कमजोर ढांचे से जूझ रही आबादी पर दोहरी मार बन रही हैं। गांव हों या शहर, यहां की ज्यादातर इमारतें कमजोर हैं—तेज झटकों से बड़ी दुर्घटना कभी भी हो सकती है।
इस भूकंप के कुछ घंटे पहले फिलीपींस के मिन्दनाओ द्वीप के दक्षिण-पश्चिम समुद्र में करीब 5.6 तीव्रता का एक और भूकंप दर्ज किया गया। अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण एजेंसी ने समुद्र तल से लगभग 30 किलोमीटर नीचे इस झटके का केंद्र बताया। इलाके में ज्यादा आबादी नहीं है, लेकिन पहाड़ी इलाकों में हलचल से दहशत फैल गई।
इन दोनों घटनाओं से पता चलता है कि भूकंप जैसी प्राकृति आपदाओं की भविष्यवाणी करना आज भी नामुमकिन है। राहत की बात यह रही कि अफगानिस्तान या फिलीपींस, दोनों जगह से फिलहाल किसी जान-माल के बड़े नुकसान की खबर नहीं आई। लेकिन भूकंप प्रवण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों और सरकारों के लिए यह एक चेतावनी है—कमजोर इमारतें और खराब तैयारियों के चलते किसी भी वक्त बड़ी आफत आ सकती है।
अफगानिस्तान में रेड क्रॉस और दूसरे राहत संगठन लगातार अलर्ट करते रहे हैं कि हिन्दूकुश बेल्ट में बड़ी संख्या में आबादी ऐसे घरों और इलाकों में रहती है, जो बार-बार आने वाले भूकंप झेलने के काबिल नहीं हैं। फिलहाल अफगानिस्तान और फिलीपींस दोनों जगह स्थानीय प्रशासन राहत और जायज़ा कार्य में जुटा है। खासकर अफगानिस्तान, जहां दशकों से संघर्ष के कारण आपदा प्रबंधन और इन्फ्रास्ट्रक्चर बेहद ज़रूरी मसला बना हुआ है। लोग अब भी डर के साए में हैं, हर झटके के बाद कुछ सेकंड के लिए सबकुछ ठहर सा जाता है।