जब वैभव सूर्यवंशी, बाएँ‑हाथ बैटर और 14‑वर्षीय prodigy, को बिहार क्रिकेट एसोसिएशन ने आधिकारिक तौर पर रानजी ट्रॉफी 2025‑26 सीजन के लिए उप‑कप्तान नियुक्त किया, तो देश भर के क्रिकेट प्रेमियों के चेहरे पर आश्चर्य की झलक देखी जा सकती थी।
यह घोषणा 12 अक्टूबर 2025 को पटना में हुई, और इसे मोइन‑उल‑हाक स्टेडियम की धूलभरी पिच पर ही साकार किया गया, जब वैभव ने अपने प्रथम रानजी मैच में 5 गेंदों में 14 रन बनाकर 280.00 का जबरदस्त स्ट्राइक‑रेट दर्ज किया। दो चौके और एक छक्का, फिर याब न्या (अभी याब न्या को देखा गया) ने वीक ओवर की पाँचवीं गेंद पर उसे ले ली।
रानजी ट्रॉफी, जो 1934‑35 से भारतीय घरेलू क्रिकेट का प्रमुख मंच रहा है, में कभी 14‑वर्षीय को उप‑कप्तान के रूप में नहीं देखा गया था। बिहार के छोटे‑छोटे कस्बों में क्रिकेट को लेकर आशा की कमती नहीं, पर वैभव जैसे प्रतिभा को राष्ट्रीय स्तर पर चमकते देखना नया था। पिछले साल, वैभव ने अंडर‑19 राज्य स्तर के टूर्नामेंट में अपना औसत 68.4 बनाया, जिससे रायस्टोन रॉयल्स ने भी उसे IPL नीलामी में अपना नाम दर्ज करने का इशारा किया।
बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष रमन सिंह ने कहा, "हम चाहते हैं कि युवा खिलाड़ी सिर्फ खेल नहीं, बल्कि नेतृत्व भी सीखें। वैभव का चयन इस मिशन को दर्शाता है।"
15 अक्टूबर को शुरू हुए इस मैच में बिहार ने पहले ओवर में ही तेज़ रफ़्तार खेली। वैभव ने पहले दो गेंदों को चौके में बदल दिया, तीसरी गेंद पर वह एक तेज़ स्वीप मारकर छक्का मार गया, और चौथी गेंद पर फिर से चौका छक्का दिया। कुल मिलाकर, 5 गेंदों में 14 रन – एक ऐसा आंकड़ा जिसे कहीं और देखना दुर्लभ है। "मैं बस पूरी ताकत से स्विंग किया, पिच ने भी मदद की," वैभव ने अपने छोटे‑से इंटरव्यू में बताया, और हँसते‑हँसते कहा कि अगली बार वह "कॉन्सर्ट नहीं, बल्कि मैच जीतने के लिए जाऊँगा।"
साकिबुल गनी (कप्तान) ने कहा, "वैभव का आक्रमण शैली हमारी टीम में नई ऊर्जा ले आई है। उप‑कप्तान के रूप में उसका मतभेद हमारी रणनीति को मजबूत करेगा।" वैभव का आउट होना याब न्या द्वारा हुआ, लेकिन इस क्षण को भारतीय मीडिया ने "140 के जेरसी पर 280 की धूम" के रूप में हाइलाइट किया।
वैभव का चयन केवल आँकड़ों से परे है। वह भारत की अंडर‑19 टीम के लिए 2026 के विश्व कप की तैयारी में केंद्रीय भूमिका निभाने वाला एक नेता माना जा रहा है। अंडर‑19 क्रिकेट विश्व कप 2026 में भारतीय टीम को एक अनुभवी कप्तान चाहिए, और इस युवा खिलाड़ी को पहले ही घरेलू स्तर पर नेतृत्व का अनुभव देना एक रणनीतिक कदम है।
एक क्रिकेट विश्लेषक, डॉ. निरंजन कुमार, ने कहा, "इतने छोटे उम्र में उप‑कप्तान बनना एक बड़ी जिम्मेदारी है, लेकिन अगर सही मेंटरिंग मिले तो यह भविष्य की भारतीय टीम के लिए बड़ी पूँजी बन सकता है।"
बिहार की सीमावर्ती शहरों में वैभव की नियुक्ति को लेकर उत्सव की लहर दौड़ गई। स्थानीय अखबारों ने "विजय की नई आशा" शीर्षक से कवरेज दिया। वहीं अरुणाचल प्रदेश टीम के कोच ने कहा, "हमने वैभव को आक्रमण में देखना पसंद किया, लेकिन आगे के मैच में वह किस तरह का बदलाव लाएगा, यह देखना बाकी है।"
बिहार के अगले मैच में टीम को मध्य प्रदेश का सामना करना है, और सभी की नज़रें इस युवा उप‑कप्तान पर टिकी हैं कि वह नई ऊर्जा को किस हद तक स्थिर रख पाएगा।
अगर वैभव अपनी फॉर्म को बनाए रखे और नेतृत्व कौशल विकसित करे, तो वह न केवल अंडर‑19 विश्व कप में, बल्कि आने वाले दशकों में भारतीय राष्ट्रीय टीम में भी एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बन सकता है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि वह 2028 के आईपीएल में प्रमुख टीमों की नजरों में आएगा, और उसी समय वह अपनी बैटिंग के साथ-साथ कप्तानगी के लिए भी तैयार हो जाएगा।
वहीं, बिचौलियों के बीच यह भी चर्चा है कि वैभव का अनुबंध कैसे संरचित होगा – शुरुआती वर्षों में न्यूनतम वेतन, फिर प्रदर्शन-आधारित बोनस। यह बात बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के वित्तीय मुद्दों को भी उजागर करती है।
युवा ऊर्जा और आक्रमण शैली टीम को नई दिशा देगी। कप्तान साकिबुल गनी ने बताया कि वैभव का नेतृत्व‑भूख टीम के निर्णय‑प्रक्रिया को तेज़ और अधिक बहु‑आयामी बना देगा, जिससे मैच के दौरान त्वरित रणनीति‑बदलाव संभव होगा।
हँसी के साथ, विशेषज्ञों का मानना है कि यदि वह इस साल के घरेलू सीज़न में निरंतर फॉर्म दिखाता रहा, तो चयनकर्ता उसे मुख्य सलॉ ऑनर देंगे। अभी तक सीनियर टीम में जगह नहीं है, पर अंडर‑19 में वह प्रमुख बॉलर और बॅटर दोनों रूप में भूमिका निभा सकता है।
एसोसिएशन का कहना है कि उनका चयन केवल प्रदर्शन नहीं, बल्कि नेतृत्व क्षमता, मानसिक ताकत और टीम के भीतर लोकप्रियता पर आधारित था। वैभव की पढ़ाई के साथ-साथ बास्केटबॉल में टीम‑लीडरशिप अनुभव ने बोर्ड को भरोसा दिलाया कि वह दबाव में भी शांत रह सकता है।
शारीरिक बनावट, निरंतर फॉर्म, और बहुत जल्दी बड़े मंच पर खेलने का दबाव मुख्य चुनौतियाँ हैं। साथ ही, उप‑कप्तान के रूप में उसे टीम‑डायनामिक्स संभालने की जरूरत होगी, जहाँ अनुभवियों के साथ तालमेल बनाना आवश्यक है।
वर्तमान में वह अपने आक्रमण के लिए जाँचा जाता है, खासकर तेज़ स्ट्राइक‑रेट वाले पावरप्ले में। कोचिंग स्टाफ ने यह भी कहा कि वह लंबी अवधि में पैरिसी खेल के साथ संतुलन बनाकर मध्य‑क्रम की स्थिरता भी प्रदान कर सकता है।
One You tea
देश की धरती पर जब 14‑साल के छोटे छोरों को टीम का झंडा सौंपा जाता है, तो वह सिर्फ खेल नहीं बल्कि राष्ट्रीय गर्व का प्रतीक बन जाता है। वैभव की तेज़ी को देखकर हर बिहारवासी की सांसें रुक जाती हैं, जैसे कोई पुराना गीत फिर से जीवंत हो गया हो। बाएं‑हाथी बैटर का अंदाज़ कुछ अलग ही करिश्मा रखता है, जो प्रतिद्वंद्वी को नहीं छोड़ता कोई मौका। इस उम्र में उप‑कप्तान बनने से युवा पीढ़ी को एक नई दिशा मिलती है, और यह हमें बताता है कि उम्र सिर्फ एक अंक है। हमारे राष्ट्रीय ध्वज के नीचे हर छोटे दिल को मौका देना ही असली भारत की बात है।