मलयालम सिनेमा में हर बार कुछ नया और रोचक देखने को मिलता है, और थलावन ने इस बार भी कोई कमी नहीं छोड़ी। जीस जॉय द्वारा निर्देशित और बीजू मेनन और असिफ अली द्वारा अभिनीत यह फिल्म अपने उत्कृष्ट कहानी और दमदार प्रदर्शन के चलते दर्शकों के दिलों में जगह बना रही है। शुरुआती समीक्षाओं और प्रचार की कमी के बावजूद, फिल्म के ट्रेलर ने दर्शकों का ध्यान अपनी ओर खींच लिया।
थलावन की कहानी एक थ्रिलर है, जिसमें कई ट्विस्ट और टर्न्स हैं। यह फिल्म एक जांच पर आधारित है जो दर्शकों को बांधे रखती है। जैसे ही फिल्म आगे बढ़ती है, इसकी कहानी और भी गहराई में जाती है, जिसमें कई रहस्य और खुलासे होते हैं। असिफ अली और बीजू मेनन की जोड़ी ने अपनी अदाकारी से किरदारों को जीवंत बना दिया है। खासकर फिल्म का क्लाइमेक्स और अन्तिम मोड़ों ने दर्शकों को हैरान कर दिया।
ट्विटर पर दर्शकों ने फिल्म के बारे में सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। वे इसकी कहानी, निर्देशन और मुख्य अभिनेताओं के प्रदर्शन की तारीफ कर रहे हैं। इस फिल्म की अनोखी प्रस्तुति और उन्नत तरीके से आगे बढ़ने वाली कहानी ने दर्शकों को प्रभावित किया है। हालांकि, कुछ ने छोटे-मोटे खामियों की ओर इशारा किया है, लेकिन कुल मिलाकर फिल्म को अच्छी प्रतिक्रिया मिली है।
बीजू मेनन, असिफ अली और कोट्टायम नज़ीर का प्रदर्शन फिल्म में जान डाल देता है। उनकी भावनाएं और संवाद दर्शकों के दिल में उतर जाते हैं। उनकी अभिनय क्षमता और फिल्म में उनकी गहराई ने कहानी को और भी मजबूती दी है। इन कलाकारों ने अपने किरदारों को जिस प्रभावशाली तरीके से निभाया है, वह वाकई प्रशंसनीय है।
फिल्म की कहानी में कुछ खामियां है, लेकिन कहानी की गति और ट्विस्ट्स ने उन्हें संघनित कर दिया है। गंभीरता से ली गयी जांच और क्लाइमेक्स ट्विस्ट फिल्म को मजबूती प्रदान करते हैं। हालांकि, बीच-बीच में कुछ हिस्सों को और बेहतर तरीके से पेश किया जा सकता था। लेकिन निर्देशक और लेखकों ने इन कमियों को कहानी की तीव्रता और अभिनय से पूर्ण कर दिया है।
जीस जॉय ने इस फिल्म के निर्देशन में अपनी छाप छोड़ी है। उनकी निर्देशन शैली और दृष्टिकोण ने फिल्म को विशिष्टता प्रदान की है। बेहतरीन सिनेमेटोग्राफी और म्यूजिक ने फिल्म की कहानी को और भी दिलचस्प बना दिया है।
ट्विटर पर मिली सकारात्मक प्रतिक्रियाओं से यह साफ है कि थलावन ने दर्शकों को खूब रिझाया है। इसके थ्रिल और ट्विस्ट्स ने दर्शकों को पूरे समय बांधे रखा है। कुल मिलाकर, थलावन एक उत्कृष्ट थ्रिलर है जिसने दर्शकों की अपेक्षाओं को पूरा किया है।
Sini Balachandran
कभी-कभी फिल्में बस एक अहसास देती हैं... जैसे कि जिंदगी भी इतनी ही अटकी हुई है, बस थोड़ा बदल गया सेट। थलावन ने मुझे यही दिखाया।
कोई बड़ा मैसेज नहीं, बस एक धीमी सी आहट।
Sanjay Mishra
अरे भाई ये फिल्म तो बस एक बार देखो और फिर जिंदगी बदल जाएगी! बीजू मेनन का चेहरा जैसे किसी ने आकाश से उतार दिया हो... और असिफ अली? वो तो बस एक इंसान नहीं, एक भावना है! जब वो बोलता है, तो हवा भी रुक जाती है। क्लाइमेक्स? ओह भगवान! मैंने अपनी चाय उलट दी थी! ये फिल्म कोई फिल्म नहीं, एक जानलेवा अनुभव है।
Ashish Perchani
मैंने इसे देखा, और अब मैं फिर से देख रहा हूँ। बार-बार।
जीस जॉय ने निर्देशन में एक ऐसा जादू डाला है जैसे कोई गाना बिना शब्दों के भी रो दे।
कैमरा एंगल्स? जैसे दिल की धड़कन के साथ चल रहे हों।
म्यूजिक? बस एक सांस जैसा।
कहानी के कुछ हिस्से थोड़े धीमे थे, लेकिन अभिनय ने सब कुछ जला दिया।
मैं अब तक इसके बारे में सोच रहा हूँ।
क्या ये फिल्म है या कोई आत्मा का साक्षात्कार?
Dr Dharmendra Singh
वाह... ये फिल्म ने मुझे याद दिलाया कि अभिनय क्या होता है 😊
बीजू और असिफ ने जो किया, वो बस अभिनय नहीं, बल्कि दिलों को छू गया।
मैं आज फिर से थोड़ा अच्छा इंसान बन गया हूँ।
sameer mulla
अरे ये सब बकवास है! ये फिल्म कोई बड़ी बात नहीं है! बस एक रात का इंतज़ार था और फिर बेकार हो गया! बीजू का चेहरा तो बहुत अच्छा है लेकिन असिफ ने तो बस आँखें घुमाईं और कह दिया 'मैं जानता हूँ'! और ये ट्विस्ट? बच्चों की कहानी से कम दमदार! और ये जीस जॉय? उसका निर्देशन तो बस एक बैकग्राउंड म्यूजिक बजाने का नाम है! ये सब लोग बस एक दम भर फिल्म को बढ़ावा दे रहे हैं! लोगों को धोखा दे रहे हैं!
Prakash Sachwani
फिल्म अच्छी लगी बस
Pooja Raghu
क्या तुमने देखा कि जब असिफ अली ने अंत में वो आवाज़ निकाली? वो आवाज़ तो किसी ने बनाई है ना? क्या ये सब कोई सरकारी एजेंसी का प्रचार है? ये फिल्म तो बस एक ट्रिगर है... लोगों को इंसान बनने के लिए बाध्य करने का! अगर तुम इसे देखोगे तो तुम्हारा दिमाग बदल जाएगा! ये नहीं हो सकता कि ये बस एक फिल्म हो!
Pooja Yadav
मुझे लगता है ये फिल्म बहुत अच्छी है और बीजू और असिफ दोनों ने बहुत अच्छा किया है
मैंने इसे दो बार देखा है और हर बार कुछ नया दिखता है
Pooja Prabhakar
सब ये कह रहे हैं कि ये फिल्म बेहतरीन है लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि ये सब केवल एक बार फिल्म के लिए बनाया गया एक बहुत बड़ा निर्माण चक्र है? बीजू मेनन के अभिनय को देखकर मैंने समझा कि वो एक अभिनेता नहीं, बल्कि एक फिल्मी बॉट है जिसे बनाया गया है ताकि लोग उसे देखकर खुश हों। असिफ अली? वो तो बस एक रोल है जिसे एक अन्य अभिनेता ने बनाया था जिसका नाम अब भूल गया है। और जीस जॉय? उसने ये फिल्म बस इसलिए बनाई क्योंकि उसे एक फिल्म बनानी थी और उसे ये विषय सबसे आसान लगा। ये फिल्म कोई कला नहीं है, ये एक उत्पाद है। और अगर आप इसे देखकर रो रहे हैं, तो आपको अपनी भावनाओं को फिर से चेक करना चाहिए।
Anadi Gupta
मैंने इस फिल्म का विश्लेषण अपने शोध निबंध में किया है जिसका शीर्षक है 'थलावन: एक आधुनिक मलयालम थ्रिलर के सांस्कृतिक और दार्शनिक आयाम'। फिल्म में दर्शाई गई जांच की रचना बहुत अधिक निर्माणात्मक है और यह एक व्यापक सामाजिक संरचना के भीतर अपराध और न्याय के संकल्पनाओं के बारे में एक गहन विवेचन प्रस्तुत करती है। बीजू मेनन के चरित्र की अंतर्निहित आत्मा का विश्लेषण फ्रॉयड के स्तर के अनुसार अपराधी के अवचेतन के साथ तुलना की जा सकती है, जबकि असिफ अली के चरित्र का व्यवहार बुर्जुआ न्याय के अनुरूप है। फिल्म की सिनेमेटोग्राफी ने विशेष रूप से छायांकन और रंग प्रणाली के माध्यम से भावनात्मक दूरी का एक नियंत्रित बिंदु प्रस्तुत किया है। यह एक वास्तविक कलात्मक उपलब्धि है लेकिन इसकी कहानी की गति एक निरंतर अध्ययन की आवश्यकता रखती है। यह फिल्म एक विशेष अध्ययन के लिए अत्यंत उपयुक्त है।