केरल के वायनाड जिले में अभी‑अभी हुआ उपचुनाव कई लोगों की निगाहें खींच रहा है। इस लेख में हम आपको सबसे नई खबरें, उम्मीदवारों का छोटा प्रोफ़ाइल और वोटिंग पैटर्न पर साफ़-साफ़ जानकारी देंगे, ताकि आप समझ सकें कि अब तक किसे फायदा हो रहा है।
वायनाड में दो मुख्य दांव हैं – कांग्रेस और भाजपा के गठबंधन वाले उम्मीदवार. कांग्रेस का प्रमुख चेहरा अभिजीत शेरावली है, जो पहले भी इस सीट पर खड़े रहे हैं और स्थानीय मुद्दों जैसे सड़क सुधार और जलसंधारण को अपनी प्राथमिकता कहते हैं। दूसरी ओर, भाजपा‑समर्थित रवींद्र नायर ने युवा वोटरों को लुभाने के लिए डिजिटल शिक्षा और रोजगार सृजन का वादा किया है.
एक छोटे लेकिन प्रभावी खिलाड़ी, स्थानीय पार्टी जैविक किसान मोर्चा का प्रतिनिधि सुनयना राव भी इस बार स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर लड़ रही हैं। उनके पास पर्यावरण और बायो-फार्मिंग की समझ है, जिससे कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में उन्हें समर्थन मिल रहा है.
अब तक जारी किए गए एंटीबॉडी रिपोर्ट के अनुसार, वायनाड में मतदाता भागीदारी 68% से ऊपर है – यह राज्य औसत से बेहतर है. युवा वर्ग (18‑35) ने अधिकतर मोबाइल ऐप के ज़रिए वोटिंग पंजीकरण किया, जबकि बुजुर्गों ने पारंपरिक रजिस्टर को प्राथमिकता दी.
मुख्य मुद्दे साफ़ हैं: सड़कें खराब, बारिश में बाढ़ की समस्या और रोजगार की कमी. इन समस्याओं पर हर उम्मीदवार ने अलग‑अलग समाधान पेश किया है, लेकिन अब तक अभिजीत शेरावली के कामकाज वाले क्षेत्रों को सबसे ज्यादा सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है.
अगर आप इस चुनाव को फॉलो कर रहे हैं तो सोशल मीडिया पर #वायनाडउपचुनाव टैग देखना ना भूलें. कई स्थानीय पत्रकारों ने लाइव अपडेट दिया है, जिसमें काउंसल्टेशन रूम में मतदाता की आवाज़ सुनाई देती है.
भविष्य के लिए क्या उम्मीद रखी जा सकती है? अगर वर्तमान ट्रेंड जारी रहता है तो कांग्रेस को छोटे अंतर पर जीतने का मौका दिख रहा है. लेकिन यदि भाजपा अपने युवा वादे को साकार करने में सफल होती है, तो वह भी बड़ा सरप्राइज़ दे सकता है.
आपके पास क्या सवाल हैं? कौन-सा मुद्दा आपके लिए सबसे ज़्यादा मायने रखता है? नीचे कमेंट करके बताइए, हम आगे की रिपोर्ट में इसे शामिल करेंगे.
प्रियंका गांधी वाड्रा, गांधी परिवार की सदस्य, केरल के वायनाड से उपचुनाव लड़ने जा रही हैं, जो पहले उनके भाई राहुल गांधी के पास थी। प्रियंका की राजनीति में एंट्री 2004 के लोकसभा चुनावों से हुई थी। उन्होंने विभिन्न राजनीतिक भूमिकाओं में खुद को साबित किया है, जिसमें 2017 में यूपी में कांग्रेस-सपा गठबंधन बनाना शामिल है।