प्रियंका गांधी वाड्रा का वायनाड से उपचुनाव लड़ने का फैसला: दो दशकों की राजनीतिक यात्रा पर एक नजर

प्रियंका गांधी वाड्रा की राजनीतिक यात्रा

प्रियंका गांधी वाड्रा, भारतीय राजनीति में एक चर्चित नाम, गांधी परिवार की एक प्रमुख सदस्य हैं। उनकी राजनीति में एंट्री 20 साल पहले 2004 के लोकसभा चुनावों से हुई थी, जब वे अपनी मां सोनिया गांधी और भाई राहुल गांधी के साथ दिखाई दी थीं। प्रियंका जहां भी जाती हैं, वहां लोग उन्हें सुनने के लिए उमड़ पड़ते हैं, क्योंकि उनकी बोलने की शैली और जनता से जुड़ने की क्षमता बेहद प्रभावशाली है।

आरंभिक दौर: 2004 लोकसभा चुनाव

2004 के लोकसभा चुनावों में प्रियंका गांधी ने अपनी मां और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के लिए प्रचार करना शुरू किया। उन चुनावों में उन्होंने उत्तर प्रदेश की रायबरेली और अमेठी सीटों पर बड़ी सभाएँ कीं और जनता के बीच मजबूत पैठ बनाई। इसके बाद, प्रियंका ने राजनीति में सक्रिय हिस्सा लेना शुरू किया और विभिन्न स्थानों पर कांग्रेस के पक्ष में चुनाव प्रचार किया।

उत्तर प्रदेश में भूमिका

प्रियंका ने 2017 में उत्तर प्रदेश की राजनीति में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन बनाने का महत्वपूर्ण काम किया और कांग्रेस की स्थितियों को मजबूत किया। उसी वर्ष, उन्हें पूर्वी उत्तर प्रदेश का महासचिव नियुक्त किया गया, जिससे उन्होंने प्रदेश में पार्टी को पुनर्जीवित करने की कोशिश की। बाद में, ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रस्थान के बाद, वे उत्तर प्रदेश की संपूर्ण प्रभारी बनीं।

प्रभावशाली प्रचार अभियान

प्रियंका गांधी की राजनीति में सबसे बड़ी खासियतों में से एक उनकी जोड़ने की क्षमता है। उन्होंने 16 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में व्यापक चुनाव प्रचार अभियान चलाया। हर जगह पर उन्होंने जिन मुद्दों को उठाया, वे जनता के रोजमर्रा के जीवन से जुड़े थे – रोटी, कपड़ा और मकान। उन्होंने भावनात्मक मुद्दों जैसे धर्म और जाति के बजाय इन आधारभूत समस्याओं पर ध्यान केंद्रित किया।

संघर्ष और सफलता

प्रियंका को अपने राजनितिक सफर में अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा, लेकिन प्रियंका ने हार के बावजूद पार्टी के लिए काम करना जारी रखा। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकारों की आर्थिक और विकास नीतियों की कड़ी आलोचना की।

वायनाड उपचुनाव: एक नई शुरुआत

अब प्रियंका गांधी वाड्रा वायनाड से उपचुनाव लड़ने जा रही हैं, जो उनके भाई राहुल गांधी के पास थी। इस चुनाव में उनकी जीत का मतलब होगा कि गांधी परिवार के सभी तीन सदस्य संसद में उपस्थित होंगे। राहुल गांधी रायबरेली से लोकसभा का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और सोनिया गांधी राज्यसभा में हैं।

2024 के आम चुनावों में कांग्रेस की सफलता में भी प्रियंका की मेहनत का बड़ा योगदान रहा, जहां कांग्रेस ने अपनी सीटों की संख्या बढ़ाकर छह कर ली। प्रियंका की जीत न केवल वायनाड के लोगों के लिए, बल्कि पूरे देश में कांग्रेस के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर होगी।

नीरजा कौल

नीरजा कौल

मैं एक पेशेवर पत्रकार हूं और भारत में दैनिक समाचारों पर लेख लिखती हूं। मेरी खास रुचि नवीनतम घटनाओं और समाज में हो रहे परिवर्तनों पर है। मेरा उद्देश्य नई जानकारी को सरल और सटीक तरीके से प्रस्तुत करना है।