जब कोई व्यक्ति आपकी इजाज़त के बिना आपके शरीर को छुए या आपको ऐसी स्थिति में डाल दे जहाँ आप असहज महसूस करें, तो उसे सेक्सुअल असॉल्ट कहते हैं। यह केवल शारीरिक नहीं, बल्कि मौखिक और डिजिटल (फ़ोन, चैट) रूपों में भी हो सकता है। अक्सर पीड़ित शर्मिंदगी या डर की वजह से चुप रह जाता है, इसलिए इस मुद्दे को खुलकर बात करना ज़रूरी है।
कभी‑कभी आप नहीं जानते कि क्या हो रहा है, लेकिन कुछ चीज़ें बार-बार सामने आती हैं: अचानक डर लगना, नींद में दिक्कत, आत्मविश्वास कम होना या दोस्तों से दूरी बनाना। शारीरिक रूप से चोटें, कपड़े उलझे रहना, या शरीर पर अनजाने निशान भी संकेत हो सकते हैं। अगर आप या आपका कोई जान‑पहचान वाला इन लक्षणों को दिखा रहा है, तो इसे हल्के में न लें—समर्थन की जरूरत है।
सबसे पहला काम है खुद को सुरक्षित महसूस कराने वाले माहौल का चयन करना। सार्वजनिक जगहें, भरोसेमंद दोस्त या परिवार के साथ समय बिताएँ और जब भी असहज महसूस करें तुरंत स्थान बदलें। अगर आप ऑनलाइन बात कर रहे हैं तो अनजान लोगों से व्यक्तिगत जानकारी न दें और किसी भी अजीब संदेश को ब्लॉक कर दें। इन छोटी‑छोटी सावधानियों से कई बार हम बड़ी समस्या से बच सकते हैं।
अगर आपको लगता है कि असॉल्ट हो गया है, तो तुरंत भरोसेमंद व्यक्ति को बताएं—परिवार, दोस्त या कोई हेल्पलाइन। पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराना आपका अधिकार है और इससे भविष्य में इसी तरह के अपराधों को रोकने में मदद मिलती है। कई शहरों में ‘फीमेल फर्स्ट’ जैसी विशेष यूनिट्स हैं जो पीड़ित की देखभाल करती हैं, तो उनका उपयोग करें।
कानूनी तौर पर आप कई विकल्प रख सकते हैं: FIR दर्ज करना, मेडिकल जांच करवाना और कोर्ट में केस फ़ाइल करना। यह प्रक्रिया कठिन लग सकती है, लेकिन हर कदम आपके अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए है। मदद पाने के लिये NGOs, हेल्पलाइन नंबर (1098) या महिला शेल्टर से संपर्क करें—वे आपको कानूनी सलाह, काउंसलिंग और अस्थायी सुरक्षा प्रदान करेंगे।
अंत में यह याद रखें कि आप अकेले नहीं हैं। समाज में बहुत लोग इस समस्या के बारे में जागरूक हो रहे हैं और बदलाव लाने की कोशिश कर रहे हैं। अगर हम सब मिलकर बात करें, समर्थन दें और सही कदम उठाएँ, तो सेक्सुअल असॉल्ट को कम किया जा सकता है। आपका छोटा सा साहस किसी की ज़िंदगी बचा सकता है—तो आवाज़ उठाएँ और मदद का हाथ बढ़ाएँ।
आर जी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के डॉक्टर और छात्र तब तक अपना प्रदर्शन जारी रखेंगे जब तक महिला स्नातकोत्तर प्रशिक्षु डॉक्टर पर हमले के दोषियों की पहचान नहीं हो जाती और उन्हें सजा नहीं मिल जाती है। कोलकाता उच्च न्यायालय ने इस घटना की सीबीआई जांच का आदेश दिया है। प्रदर्शनकारी डॉक्टर और छात्र सुरक्षा उपायों की मांग कर रहे हैं।