S-400 वायु रक्षा प्रणाली का विस्तृत परिचय

When working with S-400, रशिया द्वारा विकसित उन्नत एंटी‑एयरक्राफ्ट मिसाइल प्रणाली है जो 400 किमी तक के लक्ष्य को ट्रैक और नष्ट कर सकती है. Also known as अड्रियात, it भारत, तुर्की और चीन जैसे देशों द्वारा अपने वायु रक्षा क्षमताओं को सुदृढ़ करने के लिये अपनाई जा रही है. इस प्रणाली के मुख्य घटक हैं: एरियल टार्गेटिंग रडार, कमांड‑कंट्रोल सेंटर्स, और कई प्रकार की बायहिट मिसाइलें। रशियन एंटी‑एयरक्राफ्ट मिसाइल, रक्षा तकनीक में प्रमुख मील का पत्थर है के रूप में यह S-400 को वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय बनाता है। भारत में भारतीय रक्षा, स्थायी सुरक्षा और स्वदेशी विकास के लिये उन्नत उपकरणों को अपनाने की दिशा में काम कर रही है, और S-400 इस दिशा में एक बड़ी छलांग माना जाता है। S-400 के माध्यम से वायु सीमा (वायु‑अंतरिक्ष सुरक्षा) को मजबूत करने के प्रयोजन को समझना इस पेज का पहला लक्ष्य है।

मुख्य घटक और कार्य‑प्रणाली

S-400 का रडार नेटवर्क रडार‑डिटेक्शन‑स्टैंड से शुरू होकर लक्ष्य की पहचान, वर्गीकरण और ट्रैकिंग करता है। यह रडार लगभग 600 किमी की सीमा में विमान, मिसाइल और ड्रोन को पकड़ता है, जिससे वायु सीमा, देश के ऊपर की असुरक्षित जगहों को कवर करने वाला परिधीय क्षेत्र समझना आसान हो जाता है। पहचाने गए लक्ष्य को कमांड‑कंट्रोल सेंटर्स को भेजा जाता है, जहाँ एल्गोरिदमिक प्रोसेसिंग के बाद उचित मिसाइल प्रकार (30N6, 48N6 आदि) को लॉन्च किया जाता है। इस प्रक्रिया में कमांड‑कंट्रोल सिस्टम, रियल‑टाइम निर्णय लेने वाला कंप्यूटर नेटवर्क प्रमुख भूमिका निभाता है, जो "लक्ष्य‑पहचान → मिसाइल‑पोत चयन → लॉन्च" त्रिकोण को पूरी तेज़ी से पूरा करता है। S-400 का दायरा सिर्फ एकल लक्ष्य नहीं, बल्कि एक साथ कई लक्ष्यों को एकत्रित करने की क्षमता रखता है। यह आधुनिक वायु रक्षा का एक अच्छा उदाहरण है जहाँ एक ही सिस्टम द्वारा कई हवाई ख़तरों को निपटाया जा सकता है। इसके अलावा, प्रणाली का मॉड्यूलर डिज़ाइन इसे विभिन्न भू‑सैन्य परिस्थितियों में लागू करने की लचीलापन देता है, जिससे भारत जैसे देशों को अपने भू‑राजनीतिक स्थितियों के अनुसार अनुकूलन संभव हो पाता है।

हाल ही में S-400 की डिलीवरी और परीक्षणों के सन्दर्भ में कई चर्चा हुई हैं। कुछ देशों ने इस सिस्टम को अपनाने के बाद भारत के साथ सामरिक समझौते को मजबूती प्रदान करने की बात की है, जबकि अन्य ने तकनीकी विक्रेताओं के बीच प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दिया है। इन बहसों में रक्षा प्रौद्योगिकी, उन्नत हथियार, सेंसर और सॉफ्टवेयर का समग्र रूप का महत्व स्पष्ट हो जाता है। इसके साथ ही, S-400 के सम्मिलित उपयोग से "रक्षा‑आधारित राजनयिक संतुलन" (defence‑driven diplomatic balance) बनता है, जो क्षेत्रीय स्थिरता को प्रभावित करता है। अब आप इस पेज पर नीचे दी गई ख़बरों, विश्लेषण और अपडेट्स में S-400 के विभिन्न पहलुओं को विस्तार से पढ़ सकते हैं—चाहे वह तकनीकी विवरण हो, खरीद‑समझौते की खबरें हों, या व्यावहारिक उपयोग के केस स्टडीज। अगली पोस्ट में हम S-400 के बारे में नवीनतम सरकारी घोषणा, अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया और भारत की रक्षा रणनीति में इस प्रणाली की भूमिका को गहराई से देखेंगे।

टर्की के S-400 निरस्त्रीकरण की योजना, भारत की रक्षा में नया मोड़

टर्की के S-400 की संभावित निष्क्रियता और बायबैक योजना से भारत की रक्षा को मिलेगा बड़ा फायदा, जबकि क्षेत्रीय संतुलन में आएगा बदलाव।

द्वारा लिखित

Maanasa Manikandan, अक्तू॰, 5 2025