न्यायिक हिरासत: आसान समझ और आपके अधिकार

जब कोई अपराध का शंकित होता है तो पुलिस उसे गिरफ्तार कर सकती है, लेकिन गिरफ्तारी के बाद वह व्यक्ति कब तक जेल में रहेगा—ये सवाल अक्सर उठता है। अदालत की हुकुम से ही ‘न्यायिक हिरासत’ तय होती है। इसका मतलब है कि कोर्ट ने तय किया है कि आरोपी को जाँच‑पड़ताल या मुकदमे तक रिहा नहीं करना चाहिए।

हिरासत का फैसला दो कारणों से हो सकता है: एक तो सबूत की जरूरत और दूसरा दंडित करने के बाद जेल में रखरखाव। अगर पुलिस को लगता है कि आरोपी फरार हो सकता है या साक्षी गवाहों को नुकसान पहुंचा सकता है, तो कोर्ट उसे हिरासत में रखने का आदेश देती है।

हिरासत के दौरान आपके मुख्य अधिकार

हिरासत में रहना कठिन हो सकता है, पर कुछ मौलिक अधिकार आपके साथ रहते हैं। सबसे पहले आपको तुरंत सूचना मिलनी चाहिए कि आप किन आरोपों में फंसे हैं। दूसरा, आप वकील से बात करने का हक रखते हैं—अधिकांश मामलों में 24 घंटे के भीतर वकील की सहायता ली जा सकती है।

यदि आपको पुलिस या जेल में किसी भी तरह का दुर्व्यवहार लगे तो आप शिकायत दर्ज करा सकते हैं। साथ ही, कोर्ट को हर महीने आपके हिरासत की वैधता पर पुनः सुनवाई करनी होती है; अगर न्यायिक कारण नहीं मिला तो आपका रिहा किया जा सकता है।

हिरासत से जुड़ी आम प्रक्रियाएँ

गिरफ्तारी के बाद पुलिस को तुरन्त 24 घंटे के भीतर कोर्ट में पेश करना पड़ता है, इसे ‘जस्टिस ऑफ़ कस्टडी’ कहते हैं। अदालत तब तय करती है कि आप जाँच‑पड़ताल की जरूरत है या नहीं। यदि हाँ, तो हिरासत जारी रहती है; अगर नहीं, तो आपको रिहा किया जाता है।

हिरासत के दौरान जेल में रहने वाले को भोजन, स्वास्थ्य देखभाल और व्यक्तिगत सामान मिलने का अधिकार होता है। इन चीज़ों की कमी पर आप कोर्ट या मानवाधिकार आयोग से शिकायत कर सकते हैं।

कई बार मीडिया में बड़े केस दिखते हैं जहाँ आरोपी कई महीनों तक हिरासत में रहता है—जैसे हालिया मामलों में जो हाई‑कोर्ट ने तय किया कि आरोप के आधार पर ही हिरासत जारी रहेगी। ऐसे उदाहरण बताते हैं कि न्यायिक प्रक्रिया कैसे काम करती है और कब‑क्या सीमाएँ होती हैं।

अगर आप या आपका कोई जानने वाला इस स्थिति में फँस जाए, तो तुरंत वकील से संपर्क करें और अपने अधिकारों की जानकारी रखें। याद रखें, हिरासत सिर्फ तब तक चलनी चाहिए जब तक कोर्ट को स्पष्ट कारण न मिल जाये कि बंद रखना जरूरी है। यह समझना आसान नहीं, पर सही जानकारी और कानूनी मदद से आप इस प्रक्रिया को बेहतर ढंग से संभाल सकते हैं।

शिन्दे आमवाले पर हम ऐसे ही कानून‑सम्बन्धी खबरें लाते रहते हैं, ताकि आप हमेशा अपडेट रहें। आगे भी पढ़ते रहिए और अपने अधिकारों की रक्षा कीजिए।

दिल्ली कोर्ट ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को न्यायिक हिरासत में भेजा, सीबीआई मामले में 12 जुलाई तक न्यायिक हिरासत

दिल्ली की एक अदालत ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शराब नीति घोटाला मामले में 12 जुलाई तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। यह आदेश राउस एवेन्यू कोर्ट की अवकाश जज सुनेना शर्मा ने पारित किया। केजरीवाल को इस मामले में तीन दिन की सीबीआई हिरासत के बाद अदालत में पेश किया गया था।

द्वारा लिखित

Maanasa Manikandan, जून, 29 2024