दिल्ली कोर्ट ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को न्यायिक हिरासत में भेजा, सीबीआई मामले में 12 जुलाई तक न्यायिक हिरासत

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दिल्ली की एक अदालत ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भ्रष्टाचार के एक मामले में 12 जुलाई तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। इस मामले का सम्बंध कथित शराब नीति घोटाले से है। यह आदेश राउस एवेन्यू कोर्ट की अवकाश जज सुनेना शर्मा ने पारित किया। केजरीवाल को सीबीआई की तीन दिन की हिरासत के बाद अदालत में पेश किया गया था।

केस की पृष्ठभूमि

मामले की जड़ अगस्त 2022 में है जब सीबीआई ने शराब नीति घोटाले की जांच शुरू की थी। केजरीवाल के खिलाफ संदेह जताया गया था कि उन्होंने शराब नीति के माध्यम से भ्रष्टाचार किया। जांच के दौरान सीबीआई केजरीवाल के खिलाफ कुछ सबूत जुटाने में कामयाब रही थी। सीबीआई ने इस मामले में जनवरी 2023 में सबूत एकत्र किये और अप्रैल में पीसी एक्ट के तहत अभियोजन मंजूरी ली गई।

केजरीवाल की गिरफ़्तारी और जांच

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 21 मार्च, 2023 को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार किया था। सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई को उन्हें अंतरिम जमानत दी थी। इसके बाद सीबीआई ने केजरीवाल से तिहाड़ जेल में पूछताछ की, जहां वह मनी लॉन्डरिंग के एक मामले में न्यायिक हिरासत में हैं।

न्यायालय का अवलोकन

न्यायालय का अवलोकन

सीबीआई ने न्यायिक हिरासत के लिए अदालत में एक आवेदन प्रस्तुत किया, जिसका केजरीवाल के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता विक्रम चौधरी ने विरोध किया। चौधरी ने तर्क दिया कि मामले की जांच अगस्त 2022 से चल रही है और अब तक सीबीआई ने केजरीवाल के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं प्रस्तुत किए हैं।

कोर्ट ने हालांकि, सीबीआई द्वारा पेश किए गए सबूतों को सही ठहराया और कहा कि इन सबूतों की जांच करने का अधिकार उसका है। कोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपी को सीधे सबूत दिखाना जरूरी नहीं है।

अदालत का फैसला

छुट्टी के जज अमिताभ रावत ने 26 जून को केजरीवाल को तीन दिन की सीबीआई हिरासत में भेजा था। उस समय अदालत ने कहा कि गिरफ्तारी अवैध नहीं है। अदालत ने सीबीआई को केजरीवाल से तिहाड़ जेल में पूछताछ करने की अनुमति दी थी।

बेल के विकल्प

कोर्ट ने केजरीवाल को न्यायिक हिरासत में भेजते हुए कहा कि वह उचित प्रक्रिया के तहत बेल के लिए आवेदन कर सकते हैं। इससे पहले ईडी द्वारा मामले में केजरीवाल की जमानत को दिल्ली उच्च न्यायालय ने स्थगित कर दिया था।

केजरीवाल के वकील ने कोर्ट से सीबीआई के सभी दस्तावेज और केस डायरी को रिकॉर्ड पर लाने की मांग की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज करते हुए कहा कि यह दस्तावेज आरोपी के सामने नहीं दिखाए जाएंगे। अदालत ने यह तर्क दिया कि वह खुद सामग्री को देखकर संतुष्ट होगी।

जांच के आगे के कदम

जांच के आगे के कदम

इस आदेश के बाद सीबीआई केजरीवाल का और बयान दर्ज करने और उनके खिलाफ सबूत जुटाने का काम जारी रखेगी। केजरीवाल के कानूनी टीम द्वारा आगे की रणनीति अब इस पर निर्भर करेगी कि सीबीआई की अगली चाल क्या होती है।

Maanasa Manikandan

Maanasa Manikandan

मैं एक पेशेवर पत्रकार हूं और भारत में दैनिक समाचारों पर लेख लिखती हूं। मेरी खास रुचि नवीनतम घटनाओं और समाज में हो रहे परिवर्तनों पर है। मेरा उद्देश्य नई जानकारी को सरल और सटीक तरीके से प्रस्तुत करना है।

7 Comments

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    Sujit Ghosh

    जून 30, 2024 AT 00:31

    ये सब राजनीति का खेल है भाई! केजरीवाल को तो हर चीज में दोष दे दिया जाता है। जब तक वो बैठे हैं तब तक दिल्ली चलती है। अब जेल में डाल दिया तो कौन बनेगा नए सीएम? ये सब नेता अपने घर बैठे फैसले कर रहे हैं।

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    sandhya jain

    जून 30, 2024 AT 23:24

    इस मामले में हमें सिर्फ न्याय की बात नहीं, बल्कि इंसानियत की भी सोचनी चाहिए। एक आदमी जो दिल्ली के लोगों के लिए बहुत कुछ कर चुका है, उसके खिलाफ सबूतों की कमी में भी न्यायिक हिरासत क्यों? अगर हम अपने नेताओं को बिना सबूत के जेल में डालने लगे, तो लोकतंत्र का क्या होगा? हमारी संस्कृति में तो अभी तक 'संदेह की स्थिति में निर्दोष' का सिद्धांत था।

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    Anupam Sood

    जुलाई 2, 2024 AT 21:07

    ये सब नाटक है भाई 😒 सीबीआई का दिमाग भी खराब हो गया है क्या? जब तक वो बैठे हैं तब तक दिल्ली में पानी आता है, बिजली चलती है, और शराब की दुकानें खुलती हैं। अब जेल में डाल दिया तो क्या हुआ? जिंदगी जीने का तरीका बदल गया। 🤷‍♂️

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    Shriya Prasad

    जुलाई 4, 2024 AT 02:33

    बस यही हुआ।

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    Balaji T

    जुलाई 4, 2024 AT 13:45

    यह घटना भारतीय न्याय प्रणाली की गंभीरता और अखंडता को प्रतिबिंबित करती है। अत्यधिक राजनीतिक व्यक्तित्व के विरुद्ध न्यायिक अधिकार का प्रयोग, जिसमें विशिष्ट न्यायाधीशों द्वारा सावधानीपूर्वक साक्ष्य का विश्लेषण किया जाता है, यह एक अत्यंत आवश्यक न्यायिक प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया के विरुद्ध आवाज उठाना, न्याय के लिए एक अस्थायी भावनात्मक प्रतिक्रिया है।

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    Nishu Sharma

    जुलाई 6, 2024 AT 12:44

    देखो ये सीबीआई वाले तो बस इंतजार कर रहे थे कि जमानत खत्म हो जाए तो फिर एक बार फिर से बुला लें। जब तक उनके पास सबूत नहीं है तब तक ये पूछताछ बस टाइम पास है। और जज भी तो बस बोल रहे हैं कि हम देख लेंगे तुम्हारे दस्तावेज। अरे भाई दस्तावेज तो आरोपी को भी दिखाए जाने चाहिए ना वरना ये तो अन्याय है। ये जो बात हो रही है ये न्याय नहीं ये तो बस राजनीति है।

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    Shraddha Tomar

    जुलाई 7, 2024 AT 02:54

    मैं तो सोचती हूँ कि अगर ये सब असली है तो ये एक ट्रांसफॉर्मेशनल मोमेंट है। लेकिन अगर ये राजनीति है तो हमें एक नया नेतृत्व चाहिए जो लोगों के लिए खड़ा हो। जमानत रद्द कर दी गई तो भी क्या हुआ? लोग अभी भी आते हैं उनके पास। ये तो बस एक बड़ा सा सिस्टम फेलियर है। अगर हम इसे बदलना चाहते हैं तो अपनी आवाज उठानी होगी।

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