जब हम मुद्रास्फीति, सामान और सेवाओं की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी का औसत माप. Also known as मूल्य वृद्धि, it खरीदारों की शक्ति को घटाकर आर्थिक संतुलन को चुनौती देता है, तो इसका मतलब सिर्फ महँगी रोटी नहीं है। यह रोज‑रोज के किराने की दाम, घर के लोन की किस्त, और यहाँ तक कि आपके बचत खाते पर मिलने वाले ब्याज को भी प्रभावित करता है। इसलिए भारत में हर महीने की आर्थिक रिपोर्ट में इस शब्द का उल्लेख होना आम बात है।
एक बड़ा कारण वित्तीय नीति, सरकार द्वारा लागू मौद्रिक और राजकोषीय उपाय है। जब रिज़र्व बैंक ब्याज दरें घटाता है या सरकार बड़े पैमाने पर खर्च बढ़ाती है, तो बाजार में पैसे की आपूर्ति बढ़ जाती है और इससे उत्पाद कीमतें, वस्तुओं और सेवाओं की बाजार कीमतें धीरे‑धीरे ऊपर की ओर धकेलती हैं। यही कारण है कि अभी‑ही‑हीँ अमूल ने 700‑से‑अधिक उत्पादों की कीमत घटाई, जबकि कई कंपनियों ने कच्चे माल की लागत बढ़ने के कारण कीमतें बढ़ाई। इन सबको समझने से आप खुद के खर्च को बेहतर ढंग से मैनेज कर सकते हैं।
जब मुद्रास्फीति बढ़ती है, तो दो प्रमुख प्रभाव दिखते हैं। पहला, शेयर बाजार, इक्विटी ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म जहाँ कंपनियों के स्टॉक्स खरीदे‑बेचे जाते हैं पर अस्थिरता आती है। टाटा कैपिटल और LG Electronics India जैसे कंपनियों के IPO लॉन्च में निवेशकों का रवैया अक्सर इस स्तर पर तय होता है। दूसरा, भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न सेक्टर—जैसे कृषि, औद्योगिक उत्पादन, और सेवा—में उत्पादन लागत में बढ़ोतरी देखी जाती है, जिससे नौकरी के वेतन में से भागीदार कम पड़ सकता है। इस कारण से RBI और वित्त मंत्रालय लगातार डेटा ट्रैक करते हैं, क्योंकि एक सही मौद्रिक कदम इस चक्र को तोड़ सकता है।
अभी हाल में कई समाचार बताते हैं कि सरकार ने आधार‑रहित स्कूल प्रवेश नीति लागू करने से शिक्षा में खर्च की स्थिरता लाई, जबकि कुछ राज्यों में भारी बारिश की चेतावनी ने कृषि उत्पादन को प्रभावित किया, जिससे खाद्य पदार्थों की कीमतों में ऊपर‑नीचे हिलना जारी है। यह सब मिलकर एक जटिल परिदृश्य बनाता है, जहाँ आर्थिक संकेतक, मौसमी बदलाव, और नीति‑निर्णय एक‑दूसरे से गूँजते हैं।
इन अंतर्संबंधों को समझना आसान नहीं है, पर यह जानना ज़रूरी है कि कैसे आपका दैनिक खर्च, निवेश विकल्प, और बचत योजना इस व्यापक चित्र में फिट होते हैं। नीचे आपको इस टैग से जुड़े नवीनतम लेख, विश्लेषण और विशेषज्ञ राय मिलेंगी – चाहे वह शेयर मार्केट की नई लिस्टिंग हो, या सरकारी नीति में बदलाव। इस जानकारी के साथ आप सिर्फ खबरें पढ़ेंगे नहीं, बल्कि उन पर कार्रवाई भी कर सकेंगे।
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