पटना पुलिस ने स्पष्ट किया है कि लोकप्रिय शिक्षक फैजल खान, जिन्हें खान सर के नाम से जाना जाता है, और मोतिउर रहमान, जिन्हें गुरु रहमान के नाम से जाना जाता है, को हिरासत में लेने की रिपोर्टें पूरी तरह से गुमराह करने वाली और उत्तेजक हैं। बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की परीक्षा के संदर्भ में "नॉर्मलाइजेशन" अंक प्रणाली के विरोध में ये शिक्षक प्रदर्शनकारियों के साथ शामिल हुए थे। इस मुद्दे ने बड़ी संख्या में छात्रों और शिक्षकों को उत्तेजित कर दिया, जिससे पटना में बीपीएससी कार्यालय के पास प्रदर्शन घोषणा की तीव्र घटनाएं देखी गई।
जब प्रदर्शन उग्र हो गया, तो हालात ने पुलिस को लाठीचार्ज का सहारा लेने के लिए मजबूर कर दिया ताकि प्रदर्शनकारियों को वहां से हटा सकें। हालांकि, यह बताते हुए कि स्थिति कैसे बिगड़ी, पटना के सचिवालय के पुलिस उप-मण्डलीय अधिकारी अनू कुमारी ने कहा कि शिक्षकों की हिरासत की अफवाहें आधारहीन हैं। खान सर को गार्डनी बाग पुलिस स्टेशन में खुद आने का प्रस्ताव था और अपनी इच्छा से, वे अपने वाहन तक पुलिस वाहन के जरिए पहुंचे, जिसे उन्होंने विशेष अनुरोध में किया था।
बीपीएससी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे नॉर्मलाइजेशन लागू नहीं करेंगे और अपनी विज्ञप्ति के अनुसार, परीक्षा को केवल एक शिफ्ट में संचालित करेंगे। छात्रों और विशेष रूप से शिक्षकों का विरोध इस बात को लेकर है कि बीपीएससी अध्यक्ष आर.बी. परमार से इस संबंध में लिखित आश्वासन दिया जाए कि आगामी परीक्षाओं में नॉर्मलाइजेशन प्रणाली का उपयोग नहीं होगा।
मुद्दे का पृष्ठभूमि
बीपीएससी परीक्षा में नॉर्मलाइजेशन प्रणाली के लागू होने की अफवाहों ने पूरे बिहार में छात्र समुदाय को उत्तेजित कर दिया है। प्रत्येक वर्ष, लाखों छात्र अपनी मेहनत के जरिए इस परीक्षा में सफल होने की कोशिश करते हैं, और ऐसी प्रणाली जो उनकी मेहनत पर निर्भर नहीं करती, उन्हें अस्वीकार्य है। बीपीएससी की प्रष्ठभूमि पर छात्रों की ऐसी नाराज़गी का कारण इस बात में भी निहित है कि शिक्षा का स्तर और परीक्षाओं की पारदर्शिता महत्वपूर्ण हैं।
खान सर और गुरु रहमान जैसे शिक्षक अपने छात्रों के साथ खड़े होकर इस मुद्दे की गंभीरता को दर्शाते हैं। उनका इस प्रकार का समर्थन उन्हें छात्रों के बीच न केवल प्रिय शिक्षक बनाता है, बल्कि एक मार्गदर्शक भी बनाता है। इस विरोध के पीछे का मूल कारण शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने और इसे छात्रों के लिए पारदर्शी बनाने का प्रयास है।
बीपीएससी की प्रतिक्रिया
बीपीएससी ने स्पष्ट कर दिया है कि वे नॉर्मलाइजेशन लागू नहीं करेंगे। इस घोषणा ने छात्रों और शिक्षकों के बीच थोड़ी राहत लाई है, लेकिन बीपीएससी अध्यक्ष द्वारा लिखित आश्वासन दिया जाना अभी बाकी है। इस संबंध में सकारात्मक कदमों की उम्मीद की जा रही है ताकि छात्रों में विश्वास बहाल हो सके।
शिक्षा समुदाय की प्रतिक्रिया
बिहार का शिक्षा समुदाय इस समय एक चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रहा है। छात्र और शिक्षक दोनों ही परीक्षाओं की व्यवस्था में सुधार की मांग कर रहे हैं। इस स्थिति ने पूरे राज्य में शिक्षा के महत्व को बढ़ावा दिया है, और छात्रों का यह दबाव परीक्षाओं की निष्पक्षता और पारदर्शिता में आना चाहिए।
इस घटना के बाद से उम्मीद है कि शिक्षा प्रणालियों में सुधार के लिए और भी ठोस कदम उठाए जाएंगे। इसे छात्रों और शिक्षकों के आपसी सहयोग से ही सुधारा जा सकता है। अंततः, यह छात्रों की भलाई के लिए है जिससे एक उज्जवल भविष्य की ओर दृष्टि डाली जा सकती है।
Priya Kanodia
ये सब बातें बस धुंधली हैं... पुलिस ने कहा कि नहीं हुआ, लेकिन वो क्या जानती है? अंदर की बातें किसी को नहीं बताई जाती... मैंने अपने भाई को एक दिन बीपीएससी के बाहर देखा था, वो बोला कि वहां एक बड़ा फाइल डाला गया था... और फिर अचानक सब शांत हो गया... ये कोई गुप्त समझौता है... मैं इसे नहीं मानूंगी... 😳
Darshan kumawat
खान सर और गुरु रहमान? ये लोग तो बस अपनी फेम बढ़ा रहे हैं। शिक्षकों का काम पढ़ाना है, न कि गलियों में नारे लगाना। बीपीएससी के निर्णयों को चुनौती देने का कोई अधिकार नहीं। ये सब बस एक शो-केस है।
Manjit Kaur
बीपीएससी ने नॉर्मलाइजेशन नहीं किया तो फिर ये सारी गुड़गुड़ी क्यों? छात्रों को बस अपनी किताबें पढ़नी चाहिए। इतना बवाल क्यों? जिन्होंने पढ़ा है वो चले जाएंगे। बाकी बस रोएंगे।
yashwanth raju
अरे भाई, अगर बीपीएससी ने नॉर्मलाइजेशन नहीं किया तो ये बहुत अच्छी बात है। लेकिन अब लिखित आश्वासन चाहिए। वरना अगली बार फिर वही बातें शुरू हो जाएंगी। शिक्षकों का जो समर्थन दिया, वो बहुत बढ़िया था। लेकिन अब बात आगे बढ़ानी होगी।
Aman Upadhyayy
ये सब एक बड़ा खेल है भाई... पहले छात्रों को डराया जाता है कि नॉर्मलाइजेशन होगा... फिर शिक्षक उठ खड़े होते हैं... फिर पुलिस आती है... फिर अफवाहें फैलती हैं... फिर बीपीएससी बोलता है कि नहीं होगा... लेकिन लिखित आश्वासन नहीं देता... और फिर से अगले साल वही चक्र शुरू हो जाता है... 😔 ये तो बस एक अनंत लूप है... हम तो बस इंतज़ार करते रहते हैं... जब तक इंसानियत नहीं आती... जब तक दिल नहीं बदलता... जब तक एक शिक्षक नहीं बनता जो बस अपने बच्चों के लिए लड़े... न कि फेम के लिए... ये सब बस धुंध है... एक बड़ा धुंध... जिसमें हम सब फंसे हैं... 🤷♂️
ASHWINI KUMAR
इतना लिखा है कि आंखें घूम गईं। बस एक बात बताओ: नॉर्मलाइजेशन हुआ या नहीं? अगर नहीं हुआ तो चलो आगे बढ़ो। इतनी बातें करने की क्या जरूरत? शिक्षकों को अपनी क्लासेस में रहना चाहिए, न कि रैलियों में।
vaibhav kapoor
हमारी शिक्षा नीति पर विदेशी दबाव नहीं चलेगा। ये नॉर्मलाइजेशन तो बस अंग्रेजों का खेल है। बीपीएससी ने सही फैसला किया। भारतीय छात्र भारतीय तरीके से लड़ेंगे।
Manish Barua
मैं तो बस एक छात्र हूं... लेकिन खान सर की क्लास में जाने का मजा ही कुछ और है... वो बस बातें नहीं करते, बल्कि दिल से बात करते हैं... गुरु रहमान भी ऐसे ही हैं... अगर इनके खिलाफ कुछ हुआ तो ये देश बदल जाएगा... लेकिन अब तो लगता है कि बस एक अफवाह थी... अच्छा हुआ... लेकिन अगली बार लिखित आश्वासन जरूर मांगो... बस एक पेपर पर दस्तखत... वो भी नहीं तो फिर से ये सब शुरू हो जाएगा... 😔
Abhishek saw
बीपीएससी की घोषणा एक सकारात्मक कदम है। लेकिन इसके बाद भी आश्वासन की आवश्यकता है। शिक्षकों का समर्थन अप्रत्यक्ष रूप से छात्रों के लिए एक मार्गदर्शक है। इस प्रक्रिया को स्थायी बनाने के लिए एक लिखित दस्तावेज अत्यंत आवश्यक है।
TARUN BEDI
यहाँ एक दर्शनिक विश्लेषण की आवश्यकता है। शिक्षा एक धर्म है, न कि एक व्यावसायिक प्रक्रिया। नॉर्मलाइजेशन की अवधारणा शिक्षा के मूल उद्देश्य के विपरीत है, क्योंकि यह व्यक्तिगत प्रयास को निरर्थक बना देती है। बीपीएससी का निर्णय एक छोटा सा जीत है, लेकिन वास्तविक लड़ाई तो अभी बाकी है। अगर एक लिखित आश्वासन नहीं दिया गया, तो यह एक विलंबित आत्महत्या है। शिक्षा का अर्थ है न्याय, और न्याय के लिए नियमों की आवश्यकता है, न कि वाचिक आश्वासनों की।
Shikha Malik
खान सर तो बहुत अच्छे हैं, लेकिन गुरु रहमान को तो अभी तक किसी ने नहीं देखा... वो तो बस फोटो में ही हैं... क्या ये भी एक नाटक है? 😏
Hari Wiradinata
अच्छा हुआ कि बीपीएससी ने नॉर्मलाइजेशन नहीं लागू किया। इससे छात्रों को विश्वास मिला। अब बाकी है लिखित आश्वासन। शिक्षकों का समर्थन बहुत बढ़िया रहा। आगे भी ऐसे ही साथ दें।
Leo Ware
हम सब एक बड़े परिवार के हिस्से हैं। शिक्षा नहीं तो ये देश नहीं चलेगा। खान सर और गुरु रहमान ने सिर्फ एक निर्णय नहीं, बल्कि एक आदर्श दिखाया। अगर आश्वासन नहीं मिला तो ये लड़ाई फिर शुरू हो जाएगी। लेकिन आज हम थोड़ा आराम से सो सकते हैं।
Ranjani Sridharan
मैंने खान सर को एक बार देखा था... वो तो बस एक लाइन बोले थे... फिर चले गए... लेकिन उस लाइन ने मेरा दिल छू लिया... गुरु रहमान के बारे में तो मैं नहीं जानती... लेकिन अगर वो असली हैं तो वो बहुत बढ़िया हैं... अगर नहीं हैं तो भी चलेगा... क्योंकि हम चाहते हैं कि वो हों... 😌
Vikas Rajpurohit
ये बीपीएससी तो बस एक धोखेबाज़ संस्था है! नॉर्मलाइजेशन नहीं करने का दावा कर रहे हैं, लेकिन अगले साल फिर वही चाल चलेंगे! खान सर और गुरु रहमान को गिरफ्तार किया गया है और ये सब झूठ है! फेसबुक पर एक वीडियो आया था, जिसमें खान सर को पुलिस वाले घुटनों पर बैठाया जा रहा था! ये फेक नहीं है! ये बहुत बड़ा अपराध है! 🚨💥🔥