Muzaffarpur: BRABU में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वर्कशॉप, रूसी प्रोफेसर ने छात्रों से किया संवाद

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BRABU में अंतरराष्ट्रीय वर्कशॉप का आगाज

बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय (BRABU), मुजफ्फरपुर हमेशा कुछ नया करने के लिए पहचाना जाता है। इस बार यहां तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वर्कशॉप की शुरुआत हुई, जिसमें रूसी प्रोफेसरों और भारतीय शिक्षकों ने छात्रों से खुलकर चर्चा की। विश्वविद्यालय का माहौल पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय रंग में रंगा नजर आया।

वर्कशॉप का मुख्य उद्देश्य था—विश्वविद्यालय स्तर पर सहयोग बढ़ाना और रिसर्च को किताबी ज्ञान से आगे, असल जिंदगी में भी लागू करना। इसमें यूनिवर्सिटी के विभिन्न विभागों के शिक्षक और शोधार्थी शामिल हुए। BRABU ने यह दिखा दिया कि ग्लोबल सहयोग महज शब्दों तक सीमित नहीं है, बल्कि हकीकत में छात्रों और शिक्षकों के लिए नए अवसर पैदा करने के लिए काम किया जा रहा है।

छात्रों के लिए सीखने का अनोखा मौका

रूस से आई इंटरएक्टिव टीम ने छात्रों से न सिर्फ संवाद किया, बल्कि उनके रिसर्च आइडियाज को भी सुना और सुझाव दिए। आयोजन के दौरान छात्रों ने खुलकर सवाल पूछे—चाहे साइंस हो या ह्युमैनिटीज़, टेक्नोलॉजी हो या सामाजिक विषय। रूसी प्रोफेसर के अनुभवों ने छात्रों को दिलचस्प उदाहरण के माध्यम से समझाया कि रिसर्च के कॉन्सेप्ट्स को रोज़मर्रा के जीवन में किस तरह उतारा जा सकता है।

  • इंटरडिसिप्लिनरी रिसर्च पर जोर देते हुए, छात्रों को प्रैक्टिकल अप्रोच अपनाने के मंत्र दिए गए।
  • वर्कशॉप में फोकस रहा कि अलग-अलग विषयों की समझ मिलकर समाज में बदलाव ला सकती है।
  • उन छात्रों को भी मंच मिला जो पहली बार किसी अंतरराष्ट्रीय सेशन में बोल रहे थे।

इस तरह के आयोजन न सिर्फ पढ़ाई के दायरे को बढ़ाते हैं, बल्कि छात्रों के आत्मविश्वास में भी इजाफा करते हैं। रूसी प्रोफेसर द्वारा साझा की गई रिसर्च मेथडोलॉजी और इंटरनेशनल केस स्टडीज़ उन छात्रों के लिए बहुत खास रहीं, जो आगे जाकर रिसर्च या शिक्षण में करियर बनाना चाहते हैं।

BRABU के कुलपति और विभागाध्यक्षों ने बताया कि इस तरह के अंतरराष्ट्रीय वर्कशॉप से यूनिवर्सिटी की पहचान सिर्फ बिहार या भारत तक सीमित नहीं रहती, बल्कि विदेशों तक उसका नाम पहुंचता है। साथ ही, फेकल्टी के लिए भी यह बेहतरीन लर्निंग एक्सपीरियंस रहा, क्योंकि यहां उन्हें विदेशी एजुकेशन सिस्टम की बारीकियों को समझने का मौका मिला।

मुजफ्फरपुर के शिक्षण जगत में इस आयोजन ने नई सोच और वैश्विक दृष्टिकोण को प्रोत्साहित किया है। इससे उम्मीद बंधती है कि आगे भी BRABU ऐसे प्लेटफॉर्म देकर छात्रों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करता रहेगा।

Maanasa Manikandan

Maanasa Manikandan

मैं एक पेशेवर पत्रकार हूं और भारत में दैनिक समाचारों पर लेख लिखती हूं। मेरी खास रुचि नवीनतम घटनाओं और समाज में हो रहे परिवर्तनों पर है। मेरा उद्देश्य नई जानकारी को सरल और सटीक तरीके से प्रस्तुत करना है।

12 Comments

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    Darshan kumawat

    मई 11, 2025 AT 21:16

    ये सब नाटक है। रूसी प्रोफेसर आए तो बस फोटो खींचवाकर चले गए। किसी ने कभी देखा कि उनका कोई रिसर्च यहां लागू हुआ? सिर्फ ट्रेंड बनाने के लिए ऐसे वर्कशॉप होते हैं।

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    Priya Kanodia

    मई 13, 2025 AT 15:42

    मैंने देखा... ये वर्कशॉप वाले लोग अपने लैपटॉप पर रूसी गाने बजा रहे थे... और छात्रों को बोल रहे थे कि 'ये रिसर्च का तरीका है'... मुझे लगा मैं गलत सुन रही हूँ...!!!

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    Manjit Kaur

    मई 14, 2025 AT 16:57

    बस यही हुआ था ये सब बकवास। जब तक यहां लैब में पानी नहीं आएगा तब तक रूसी प्रोफेसर का क्या फायदा

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    yashwanth raju

    मई 15, 2025 AT 01:35

    ओह तो अब हमारे यहां रूसी लोग आकर बताएंगे कि रिसर्च कैसे करनी है? भारत में भी तो कई अच्छे साइंटिस्ट हैं जिन्होंने नोबेल जीता है। ये सब ज्यादा नाटक है। 😒

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    Aman Upadhyayy

    मई 16, 2025 AT 18:57

    मैंने इस वर्कशॉप के बारे में एक छात्र से बात की जिसने कहा कि रूसी प्रोफेसर ने एक घंटे में 3 बार अपना नाम बताया और फिर बस एक फोटो खींचवाकर चले गए... और अब ये सब ग्लोबल सहयोग का नाम लेते हैं... ये तो बस एक टूरिस्ट विजिट है जिसे रिसर्च कह रहे हैं... ये जो लोग इसे बढ़ावा दे रहे हैं वो शायद अपने रिज्यूमे में डालना चाहते हैं... 🤷‍♂️

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    ASHWINI KUMAR

    मई 18, 2025 AT 02:36

    इतना धमाका क्यों? बस एक वर्कशॉप हुआ और तुम सब इसे भारत की वैश्विक पहचान बना रहे हो? ये वर्कशॉप तो हर साल होता है... कोई नया नहीं हुआ... बस लोगों को बताने के लिए ज्यादा शब्द लगाए गए... और फिर क्या? अगले हफ्ते फिर से बिजली बंद हो जाएगी... इस वर्कशॉप से क्या हुआ? कुछ नहीं।

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    vaibhav kapoor

    मई 18, 2025 AT 07:25

    रूसी लोग आए तो भारत को बताएंगे कि रिसर्च कैसे करनी है? हमारे देश में तो अपने अपने तरीके हैं। इनकी जरूरत नहीं। ये सब बाहरी दबाव है।

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    Manish Barua

    मई 19, 2025 AT 04:21

    मैंने एक छात्र से बात की जिसने कहा कि रूसी प्रोफेसर ने उसके रिसर्च प्रोपोजल पर 20 मिनट बात की... और फिर उसे एक लिंक भेजा जहां उसके डेटा को एनालाइज करने का तरीका समझाया गया... मुझे लगा ये असली बातचीत थी... 😊

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    Abhishek saw

    मई 19, 2025 AT 20:09

    यह वर्कशॉप एक महत्वपूर्ण कदम है। वैश्विक सहयोग के माध्यम से हम अपने छात्रों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप तैयार कर सकते हैं। यह बस एक वर्कशॉप नहीं है, यह एक शिक्षा का नया दृष्टिकोण है।

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    TARUN BEDI

    मई 21, 2025 AT 04:30

    यह सब बहुत आसानी से कहा जा रहा है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि रूसी शिक्षण पद्धति में व्यक्तिगत उत्तरदायित्व का अभाव है? यहां छात्र अपने विषयों को गहराई से समझते हैं, न कि बस फोटो लेने के लिए आए हुए विदेशी लोगों के साथ बातचीत करके। यह एक दिखावा है।

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    Shikha Malik

    मई 21, 2025 AT 09:08

    मैंने देखा कि एक छात्र ने अपना रिसर्च प्रोजेक्ट दिखाया और रूसी प्रोफेसर ने उसे बताया कि ये डेटा असली नहीं है... और फिर उसने उस छात्र को एक गूगल शीट भेजी जिसमें डेटा कैसे ट्रैक करना है... छात्र रो पड़ा... लेकिन फिर उसने अगले दिन वो डेटा अपडेट किया... ये बदलाव है।

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    Hari Wiradinata

    मई 21, 2025 AT 19:27

    यह वर्कशॉप एक अच्छा शुरुआती कदम है। लेकिन अगर हम इसे सिर्फ एक घटना के रूप में छोड़ देंगे तो इसका कोई लंबे समय तक फायदा नहीं होगा। हमें इसे नियमित रूप से जारी रखना होगा।

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