जूनटीन्थ: दासता की समाप्ति की ऐतिहासिक यादगार
अमेरिका के इतिहास में कुछ तारीखें ऐसी हैं जो हमेशा हमेशा के लिए यादगार मानी जाती हैं। इनमे से एक महत्वपूर्ण तारीख है 19 जून, 1865, जिसे जूनटीन्थ के नाम से जाना जाता है। इस दिन को अमेरिकी इतिहास में दासता की समाप्ति की घोषणा के रूप में देखा जाता है। यूनिवर्सिटी ऑफ डेलावेयर (यूडी) इस ऐतिहासिक दिवस को बड़े हर्षोल्लास के साथ मना रही है। 19 जून, 2024 को यूडी ने कक्षाओं को समाप्त करने और कार्यालयों को बंद रखने का निर्णय लिया है, ताकि सब इस महत्वपूर्ण दिवस की महत्ता को समझ सकें और इसे मना सकें।
जूनटीन्थ का इतिहास और महत्व
जूनटीन्थ का इतिहास बहुत लंबे संघर्ष और न्याय की मांग का प्रतीक है। इस दिन, 1865 में यूनियन मेजर जनरल गॉर्डन ग्रेंजेर ने टेक्सास के गैलवेस्टन में एकत्रित दासों को बताया कि वे अब स्वतंत्र हैं और गृह युद्ध समाप्त हो चुका है। यह वह दिन था जब राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन द्वारा 1 जनवरी, 1863 को घोषित ‘मुक्ति उद्घोषणा’ अधिकांश कंफेडरेट राज्यों के दासों तक पहुंची।
ऐसे समय में जब कंफेडरेट सरकार ने लिंकन की मुक्ति उद्घोषणा को लागू नहीं किया था, यह सूचना सेनाओं के हस्तक्षेप से ही पहुंच पाई। ग्रेंजेर की घोषणा ने अमेरिकी समाज में एक नए अध्याय का आरंभ किया, जिसमें दासता समाप्त हो गई और स्वतंत्रता की नई किरण हर जगह फैल गई।
डेलावेयर राज्य सीनेटर मैरी पिंकनी की भूमिका
डेलावेयर राज्य की सीनेटर और यूडी की अफ्रीकाना अध्ययन की छात्रा मैरी पिंकनी के अनुसार, जूनटीन्थ जैसे त्योहारों को मना कर हम अमेरिकी इतिहास के वास्तविकता को सम्मान दे सकते हैं और काले लोगों की कहानियों को सामने ला सकते हैं। मैरी पिंकनी के दृष्टिकोण से, यह त्यौहार उन संघर्षों को भी दिखाता है जो काले समाज को समानता और न्याय के लिए झेलनी पड़ी।
राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा अधिनियमित कानून
राष्ट्रपति जो बाइडेन ने 17 जून, 2021 को 'जूनटीन्थ नेशनल इंडीपेंडेंस डे एक्ट' पर हस्ताक्षर किए और इसे एक कानूनी सार्वजनिक अवकाश के रूप में घोषित कर दिया। इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य अमेरिकियों को काले लोगों की स्वतंत्रता की जटिल इतिहास और उनकी ongoing संघर्षों के प्रति शिक्षित करना है।
इस नई कानूनी मान्यता से पूरे देश में जूनटीन्थ की महत्ता और भी बढ़ गई है और इसे एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय अवकाश के रूप में माना गया है।
यूडी का शैक्षिक और सांस्कृतिक प्रयास
यूनिवर्सिटी ऑफ डेलावेयर ने जूनटीन्थ के उत्सव के साथ ही अपने परिसर में एक समान और न्यायसंगत वातावरण निर्मित करने के लिए वर्ष भर शैक्षिक कार्यक्रम आयोजित करने का संकल्प लिया है। यूडी का ऑफिस ऑफ इंस्टिट्यूशनल इक्विटी और सेंटर फॉर ब्लैक कल्चर सामाजिक न्याय और समावेश के मुद्दों पर जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न शैक्षिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करता है।
डेलावेयर में आयोजित होने वाली जूनटीन्थ घटनाएँ
डेलावेयर राज्य में जूनटीन्थ के अवसर पर कई आयोजन हो रहे हैं। लुइस, डोवर, रेहबोथ बीच, और विलमिंगटन में विभिन्न जूनटीन्थ समारोह आयोजित किए जा रहे हैं।
- फंडरेजिंग वॉक
- डिवर्सिटी परेड्स
- ब्लैक हिस्ट्री टूर
- समारोह और सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ
यूनिवर्सिटी ऑफ डेलावेयर का यह प्रयास न केवल काले समाज के इतिहास को मान्यता देने का है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करने का है कि भविष्य में कोई भी समुदाय अन्याय के अंधकार में न झेले। जूनटीन्थ का यह उत्सव सामाजिक समानता, न्याय, और मानव के असीमित संघर्ष की कहानी को जन-जन तक पहुंचाने का एक महत्वपूर्ण कदम है।
इससे समाज में एकता, सम्मान और समावेशिता की भावना बढ़ेगी और आने वाली पीढ़ियों के लिए यह संदेश जाएगा कि संघर्ष और धैर्य के साथ किसी भी अन्याय का अंत किया जा सकता है। आइए, इस जूनटीन्थ पर हम सभी मिलकर इस संघर्ष और विजय की गाथा को याद करें और एक नई आशा और विश्वास के साथ आगे बढ़ें।
Shriya Prasad
जूनटीन्थ का मतलब सिर्फ दासता का खत्म होना नहीं, बल्कि एक नए इतिहास की शुरुआत है।
Balaji T
यह सब बहुत भावुक और अतिरंजित है। अमेरिका में दासता का अंत तो 1865 में हुआ, लेकिन आज भी वहाँ असमानता बरकरार है। इस तरह के उत्सव बस एक नाटक हैं।
Nishu Sharma
दरअसल जूनटीन्थ का इतिहास बहुत गहरा है और इसकी व्याख्या करने के लिए केवल एक दिन का अवकाश नहीं बल्कि शिक्षा का एक पूरा सिस्टम चाहिए। लिंकन की मुक्ति उद्घोषणा तो 1863 में थी लेकिन टेक्सास में इसका प्रभाव 1865 तक नहीं पहुंचा क्योंकि कंफेडरेट सरकारें उसे अनदेखा कर रही थीं और यूनियन सेना के पहुंचने तक दासों को अपनी स्थिति के बारे में पता नहीं था। इसलिए जूनटीन्थ सिर्फ एक दिन नहीं बल्कि एक जीवन भर के संघर्ष का प्रतीक है जिसे अभी भी पूरा नहीं हुआ है।
Shraddha Tomar
ये दिन बस एक अवकाश नहीं, ये एक रिसेट बटन है। हमें अपने अतीत को स्वीकार करना होगा ताकि भविष्य में ऐसे अन्याय न हों। यूडी का ये प्रयास बहुत बढ़िया है, बस अब इसे घर तक ले जाना होगा।
Priya Kanodia
क्या ये सब असली है? क्या बाइडेन ने वाकई इसे कानून बनाया? या ये सिर्फ एक डिजिटल डिस्ट्रक्शन कैंपेन है? क्या आपने कभी सोचा कि ये सब किसके लिए है? क्या ये असली न्याय है या बस एक ब्रांडिंग ट्रिक? जूनटीन्थ के बारे में जो भी बोल रहे हैं... वो सब एक बड़ी चाल है।
Darshan kumawat
ये सब बकवास है। दासता खत्म हुई तो फिर आज भी अमेरिका में ब्लैक लोगों की जिंदगी इतनी कठिन क्यों है? इस तरह के उत्सव बस एक धोखा हैं।
Manjit Kaur
दासता खत्म हुई तो अब ये सब नाटक क्यों? इतिहास को याद रखो लेकिन उसे बढ़ा-चढ़ाकर मत दिखाओ। बस असली बात बताओ।