गुरु नानक जयंती 2024: महत्व, उत्सव और शुभकामनाएँ साझा करने के लिए संदेश एवं उद्धरण

गुरु नानक जयंती का इतिहास और उसका महत्व

गुरु नानक जयंती सिख धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है। यह पवित्र दिन गुरु नानक देव जी के जन्म का गौरवमयी स्मरण है, जो मानवता, प्रेम, और समानता के प्रेरक थे। उनका जन्म 15 अप्रैल, 1469 को तलवंडी नामक स्थान में हुआ था, जिसे आज ननकाना साहिब, पाकिस्तान के नाम से जाना जाता है। उनकी आध्यात्मिक शिक्षाओं ने समय की जटिलताओं में धर्म की मूलभूत शक्तियों को पुनर्जीवित किया।

गुरु नानक की शिक्षाएँ और उनके विचार

गुरु नानक जी ने मानवता की भलाई के लिए अनेक उपदेश दिए। उन्होंने समाज में व्याप्त असमानता, जातिगत भेदभाव और धार्मिक गलतफहमियों के खिलाफ आवाज उठाई। उनका मानना था कि ईश्वर एक है और उसने सभी को समान बनाया है। वे अंधविश्वास से घृणा करते थे और सदा सत्य को आत्मसात करने की प्रेरणा देते थे। उनके संदेश ने दुनिया भर के करोड़ों लोगों की आत्मा को छू लिया।

गुरु नानक जयंती का आयोजन

सिख समुदाय इस दिन को बहुत धूमधाम से मनाता है। दिन की शुरुआत प्रभात फेरी से होती है, जहां भक्त प्रभातकाल में गुरबानी का कीर्तन करते हैं। अखंड पाठ और नगर कीर्तन का आयोजन होता है। गुरुद्वारों में सत्संग और लंगर का आयोजन किया जाता है। यह सब गुरु नानक के उपदेशों को अमल में लाने का एक तरीका है। लोग अपने परिवारों के साथ मिलकर सेवा करते हैं और प्रेम का संदेश साझा करते हैं।

जयंती की तिथि और महत्व

इस वर्ष गुरु नानक जयंती 15 नवंबर 2024 को मनाई जाएगी। इस दिन पूर्णिमा की तिथि सुबह 6:19 बजे से प्रारम्भ होगी और अगले दिन रात 2:58 बजे समाप्त होगी। ये पवित्र रात प्रार्थना और उत्सव के लिए विशेष महत्व रखती है।

भक्तों के लिए शुभकामनाएँ और संदेश

गुरु नानक जयंती के अवसर पर, भक्त एक दूसरे को शुभकामनाएँ भेजते हैं और गुरु नानक के उपदेशों को याद करते हैं। लोग संदेश साझा करते हैं जैसे, "गुरु नानक जयंती की हार्दिक शुभकामनाएँ। गुरु नानक देव जी की शिक्षाएँ हमेशा हमारे पथ को प्रकाशमान करती रहें।" ऐसे शुभकामनाएँ हमें हमेशा प्रेम और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की याद दिलाती हैं।

समारोह की विशेष गतिविधियाँ

इस दिन भक्ति गीतों और कीर्तन का आयोजन होता है, जो जीवंत और आत्मीय हैं। इन में भाग लेना एक अद्वितीय अनुभव है, जो दिल को शांति और मन को स्थिरता प्रदान करता है।

  • पुरानी पवित्र कथाएँ सुनाई जाती हैं।
  • भक्ति संगीत के सत्र होते हैं।
  • सहायता और सेवा कार्य जैसे लंगर सेवा चालू रहती है।

इस पवित्र दिन का मुख्य उद्देश्य है कि गुरु नानक के संदेशों को समझकर समाज में प्रेम और समता को बढ़ावा देना। ऐसा करके हम उनके अमूल्य योगदान को सच्चे अर्थों में श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

इन उत्सवों के माध्यम से गुरु नानक का उपदेश मानवता के बीच सद्भावना और प्रेम का संदेश फैलाने का कार्य करता है। यह जयंती हमें याद दिलाती है कि धर्म का असली उद्देश्य इंसान को इनसानियात से जोड़ना है।

नीरजा कौल

नीरजा कौल

मैं एक पेशेवर पत्रकार हूं और भारत में दैनिक समाचारों पर लेख लिखती हूं। मेरी खास रुचि नवीनतम घटनाओं और समाज में हो रहे परिवर्तनों पर है। मेरा उद्देश्य नई जानकारी को सरल और सटीक तरीके से प्रस्तुत करना है।