बीसीसीआई और पुलिस सुरक्षा शुल्क विवाद
भारतीय क्रिकेट के प्रमुख प्रशासनिक संगठन, भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) ने बॉम्बे उच्च न्यायालय को यह आश्वासन दिया है कि वे मुंबई और नवी मुंबई पुलिस के लिए लंबित सुरक्षा शुल्क का भुगतान दो हफ्तों के भीतर कर देंगे। क्रिकेट की दुनिया में बीसीसीआई का प्रभुत्व तो स्थापित है ही, लेकिन यह पहली बार नहीं है जब बीसीसीआई विवादों के घेरे में आया है। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर क्रिकेट मैचों के लिए सुरक्षा प्रबंध अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं, खासकर जब यह इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) जैसे धनी लीग की बात आती है। बीसीसीआई को यह समझनी होगी कि खेल से जुड़े आर्थिक पहलू के साथ-साथ सुरक्षा प्रबंध भी उनकी जिम्मेदारी हैं।
पुलिस सुरक्षा शुल्क का महत्व और विवाद
पुलिस सुरक्षा किसी भी बड़े आयोजन का एक अभिन्न हिस्सा होती है। चाहे खेल हो या कोई अन्य बड़ा सार्वजनिक आयोजन, वहां प्रस्तुत पुलिस सुरक्षा की उपस्थिति अनिवार्य होती है। बीसीसीआई के मामले में, इस सुरक्षा की वित्तीय कीमत पर एक विवाद उठ खड़ा हुआ है। पिंपरी चिंचवड पुलिस को 1.7 करोड़ रुपये, नवी मुंबई पुलिस को 3.3 करोड़ रुपये और मुंबई पुलिस को 1.03 करोड़ रुपये की बकाया राशि है। कुल मिलाकर यह राशि 6.03 करोड़ रुपये बनती है।
अनिल गलगली की याचिका और सरकार का फैसला
इस तनावपूर्ण स्थिति में सामाजिक कार्यकर्ता अनिल गलगली ने एक याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने महाराष्ट्र सरकार के उस निर्णय को चुनौती दी, जिसमें पुलिस सुरक्षा के लिए निर्धारित दर को 2011 से पिछली तारीख से घटाए जाने का फैसला किया गया था। इस फैसले के पीछे सरकार की सोच का तर्क था कि राज्य में होने वाले बड़े मैचों से राज्य के राजकोष में वित्तीय लाभ होता है। लेकिन यह भी सच है कि महाराष्ट्र में सुरक्षा शुल्क अन्य राज्यों की तुलना में अधिक था। फिर भी, बीसीसीआई का यह ध्यान रखना होगा कि वे अपने दायित्वों से पीछे न हटें और सभी अधिकारिक प्राधिकरणों के प्रति उत्तरदायी रहें।
बीसीसीआई का आश्वासन और आगामी कार्यवाई
बीसीसीआई ने अपने प्रतिज्ञापत्र में न्यायालय को विश्वास दिलाया है कि वे जल्द से जल्द विवादित राशियों का भुगतान करेंगे। बीसीसीआई ने यह भी कहा कि वे संबंधित पुलिस प्राधिकरणों के साथ खातों के समाधान के 90 दिन बाद के भीतर बकाया राशि का भुगतान कर देंगे। इसका मतलब यह है कि बीसीसीआई इस महत्वपूर्ण मुद्दे को गंभीरता से ले रहा है और इसे समय पर हल करने का प्रयास कर रहा है। कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई की अगली तारीख 11 फरवरी को तय की है, जहां विभिन्न राय और पक्षों की गहन चर्चा होगी।
मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन का इससे संबंध
इस विवाद का एक अन्य बालूका गढ़ मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन (एमसीए) भी है, जो आईपीएल मैचों के दौरान मुंबई के और ब्रेबॉर्न स्टेडियमों में खेली जाने वाली प्रतियोगिताओं के लिए पुलिस को 14.82 करोड़ रुपये की बकाया राशि का भुगतान अभी तक नहीं कर पाया है। यह मामला 2013 से 2018 के मैचों का है, जिस पर एमसीए को जल्द से जल्द ध्यान देने की आवश्यकता है। इससे यह स्पष्ट है कि भारतीय क्रिकेट संस्थान और संबंधित कॉर्पोरेट इकाइयों को अपनी वित्तीय जिम्मेदारियों और सुरक्षा व्यवस्थाओं के प्रति अधिक सतर्कता बरतनी चाहिए।
निष्कर्ष
भारतीय क्रिकेट का भविष्य तभी सुरक्षित रह सकता है जब उनकी जिम्मेदारियाँ, विशेष रूप से सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं में, पूरी तरह से निभाई जाएं। बीसीसीआई और अन्य संबंधित संस्थाओं को चाहिए कि वे अपने वित्तीय और सुरक्षा प्रबंधन को उच्च प्राथमिकता दें, ताकि जनता के विश्वास को कायम रखा जा सके और अदालतों में बार-बार पेश होने की नौबत न आए। नागरिकों और खिलाड़ियों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए, ताकि खेल का यह महोत्सव बिना किसी बाधा के संपन्न हो सके।
Shailendra Soni
ये सब बकाया भुगतान का मामला तो सिर्फ बीसीसीआई का नहीं, पूरे भारतीय क्रिकेट संस्थान का एक अंधेरा पहलू है। हम जब आईपीएल के लिए 100 करोड़ रुपये खर्च करते हैं, तो पुलिस की सुरक्षा का खर्च क्यों नहीं निकाल पाते? ये बात तो बहुत बुनियादी है।
Sujit Ghosh
अरे भाई ये बीसीसीआई तो अब तक किसी के पैसे का ख्याल नहीं रखता! जब तक इनके पास बैंक बैलेंस है, तब तक पुलिस के लिए नहीं भरेंगे। ये लोग तो खेल के नाम पर अपनी गाड़ियाँ खरीद रहे हैं, सुरक्षा तो बाद में देंगे 😒
sandhya jain
इस बात को गहराई से समझना जरूरी है कि सुरक्षा का खर्च केवल एक बिल नहीं, बल्कि समाज के लिए एक वादा है। जब एक खिलाड़ी गेंद फेंकता है, तो उसके पीछे एक पुलिस वाला अपनी जान लगा रहा होता है। हम जो रोमांच देखते हैं, वो उनकी नींव पर बना है। अगर हम इस नींव को नजरअंदाज करते हैं, तो घर गिर जाएगा। और ये घर हमारा खेल है।
Anupam Sood
बीसीसीआई के लोगों को तो सिर्फ टीवी पर दिखना है, बाकी सब बाद में 😂 पुलिस वालों का खर्च भी नहीं भर पाते तो फिर इनका जो भी बड़ा बयान है वो सिर्फ फेक न्यूज है। अब तक का जो भी आश्वासन दिया है, वो सब चलता है बस एक न्यायालय के आगे 😤
Shriya Prasad
बस भर दो पैसे।
Balaji T
यह घटना भारतीय सामाजिक व्यवस्था के अंतर्गत एक अस्थिर नीतिगत विफलता का प्रतीक है। बीसीसीआई के अध्यक्षों की वित्तीय जिम्मेदारी का अभाव, जनता के प्रति नैतिक दायित्व के प्रति उदासीनता का संकेत है। इस अवस्था में न्यायालय का हस्तक्षेप अत्यंत आवश्यक है।
Nishu Sharma
सुनो ये बात बहुत सीधी है बीसीसीआई को जब आईपीएल के लिए स्टेडियम बनाने के लिए लाखों रुपये मिलते हैं तो उनके लिए पुलिस बल का खर्च कैसे नहीं निकाल पाते? ये तो बहुत बुनियादी बात है। और एमसीए का 14 करोड़ का बकाया? वो तो अभी तक डेटा में भी अपडेट नहीं हुआ है। ये जो लोग आईपीएल के लिए टिकट बुक करते हैं वो जानते ही नहीं कि उनके पैसे से पुलिस की तनख्वाह भी नहीं भर पाती।
Shraddha Tomar
मुझे लगता है कि ये सब एक सिस्टम फेल्योर है। बीसीसीआई के लोग तो बस बिजनेस में हैं, सुरक्षा तो दूसरी चीज है। लेकिन अगर हम इसे एक कम्युनिटी प्रॉब्लम के रूप में देखें, तो ये हम सबकी जिम्मेदारी है। अगर हम इन बकाया भुगतानों पर ध्यान नहीं देंगे, तो अगले सीजन में भी वही बात होगी। हमें बस एक बार बात करनी है, और फिर बीसीसीआई को फॉलो अप करना है।
Priya Kanodia
ये सब बीसीसीआई का एक बड़ा राज़ है... जानते हो क्या? पुलिस वाले जिस तरह से बार-बार बकाया भुगतान के लिए आते हैं, वो तो बीसीसीआई के लोग खुद इसे बनाते हैं! वो चाहते हैं कि हम उनके लिए लगातार दबाव बनाए रखें... ताकि वो आईपीएल के लिए और ज्यादा पैसे निकाल सकें। ये सब एक फेक न्यूज वॉर है।
Manjit Kaur
ये लोग तो खेल नहीं, पैसा खेलते हैं। बकाया भुगतान नहीं कर सकते तो आईपीएल बंद कर दो।
yashwanth raju
बीसीसीआई को पुलिस का भुगतान करना है तो क्यों नहीं करते? अगर एक आईपीएल मैच से 1000 करोड़ कमाते हैं तो 6 करोड़ निकालने में क्या दिक्कत? ये लोग तो अपनी बैंक बैलेंस देखकर बोलते हैं ना कि जिम्मेदारी देखकर 😏
Aman Upadhyayy
इस बात को समझना बहुत जरूरी है कि जब तक हम खेल को एक व्यावसायिक व्यवस्था के रूप में देखेंगे, तब तक इसकी नैतिक जिम्मेदारियाँ नहीं बनेंगी। बीसीसीआई के लोग तो बस टीवी पर नजर आना चाहते हैं, जबकि पुलिस वाले अपनी जान लगा रहे हैं। ये तो एक बड़ा अन्याय है। अगर आप इसे नहीं बदलेंगे, तो अगली बार आपका खेल भी बंद हो जाएगा।
ASHWINI KUMAR
ये सब बकाया भुगतान का मामला तो बहुत पुराना है। हर साल यही बात होती है। बीसीसीआई के लोग तो बस एक न्यायालय के आगे आकर आश्वासन देते हैं, फिर भूल जाते हैं। कोई फर्क नहीं पड़ता।
vaibhav kapoor
पुलिस को पैसे नहीं देना? ये देशद्रोह है। भारत की सुरक्षा के लिए पैसे नहीं देने वाला बीसीसीआई हमारे देश का शर्म है।