अमूल ने 22 सितंबर, 2025 से शुरू होकर 700 से अधिक उत्पादों की कीमत घटाने का फैसला किया है। यह कदम केंद्रीय सरकार द्वारा जीएसटी में किए गए कट के तुरंत बाद आया, जिसमें बटर और घी जैसी आवश्यक खाद्य वस्तुओं पर 12 % से घटकर 5 % कर लगाया गया। नई दो‑स्लैब प्रणाली ने पहले के चार‑स्लैब प्रावधान को सरल बना दिया, जिससे व्यापारियों और उपभोक्ताओं दोनों को स्पष्ट लाभ मिल रहा है।
कीमत कट के कारण और विस्तृत आंकड़े
अमूल के विभिन्न उत्पादों पर कट अलग‑अलग पैकेज साइज के आधार पर तय किए गए हैं। 100 ग्राम बटर की कीमत में 4 रुपये की कमी, 500 ग्राम बटर में 20 रुपये की छूट मिली। घी के 1‑लीटर कार्टन की कीमत में 40 रुपये, 5‑लीटर टिन में 200 रुपये की बड़ी घटावट देखी गई। पीनट स्प्रेड (900 ग्राम) अब 325 रुपये की बजाय 300 रुपये में उपलब्ध होगा, जबकि अमूल पनीर पराठा (500 ग्राम) की कीमत 240 रुपये से घटकर 200 रुपये हो गई। फ्रेंच फ्राइज़ (1.25 किलोग्राम) का मूल्य 215 रुपये से घटकर 200 रुपये रहेगा। इस तरह की विविधता से उपभोक्ताओं को हर वर्ग में राहत मिलेगी।
उम्मीदित प्रभाव और उद्योग की प्रतिक्रिया
गुजरात को‑ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (GCMMF) के प्रवक्ता जयें मेहता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस कदम को "पोषण को किफायती बनाने" का श्रेय देते हुए कहा कि यह 36 लाख किसानों के सहयोगी संस्थान के लिए बड़ी जीत है। वे आशा जताते हैं कि दही, पनीर, बटर और घी जैसे उत्पादों की खपत में बढ़ोतरी होगी, खासकर जब भारत में प्रति व्यक्ति आयरन-डैली का सेवन अभी भी कम है। कीमत घटने से बटर‑घी पर खर्च कम होगा, जिससे आम जनता के बजट पर दबाव घटेगा और साथ ही किसानों को उनके उत्पाद का बेहतर मूल्य मिलेगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमान ने पहले कहा था कि इस जीएसटी संकल्प से देश की जेब में 2 लाख करोड़ रुपये वापस आएँगे, जिससे घरेलू उपभोग बढ़ेगा। मध्यम वर्ग और छोटे‑मध्यम उद्यम (MSME) को सीधे लाभ पहुंचाने के उद्देश्य को इस नीति ने साकार किया है।
अमूल के साथ ही मदर डेयरी ने भी समान समय पर कीमत घटाने की घोषणा की, जिससे इस दिशा में एक उद्योग‑व्यापी प्रवृत्ति स्पष्ट हो रही है। दोनों ब्रांडों के प्राइस लिस्ट बदलने से डिस्ट्रीब्यूटर्स, अमूल पार्लर्स और रिटेलर्स को नई कीमतों का पालन करना होगा, जिससे शेल्फ‑प्लेन पर उत्पादों की कीमत सीधे ग्राहक को दिखेगी।
विश्लेषकों का मानना है कि यदि इस तरह के कट लगातार बने रहे, तो भारतीय डैयरी मार्केट की मौलिक संरचना में बदलाव आ सकता है। निर्यात‑मेज़र फर्मों को भी इस लाभ से फायदा उठाने की संभावना है, क्योंकि घरेलू कीमत घटने से अंतरराष्ट्रीय बिक्री में मूल्य प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। कुल मिलाकर, यह कदम सरकार, उपभोक्ताओं और उत्पादकों के बीच एक जीत‑जीत का सत्र बन सकता है।
Abhishek saw
ये तो बहुत अच्छी खबर है। बटर और घी की कीमत घटने से घरों में खर्च कम होगा। गरीब लोगों के लिए ये बड़ी मदद होगी।
TARUN BEDI
इस नीति को देखकर मुझे लगता है कि हम एक ऐसे युग में जी रहे हैं जहाँ सरकार केवल शब्दों में नहीं, बल्कि वास्तविक जीवन के स्तर पर लोगों की ज़रूरतों को समझने लगी है। जीएसटी की चार स्लैब से दो स्लैब पर आना केवल एक अंकगणितीय सरलीकरण नहीं, बल्कि एक दार्शनिक बदलाव है - जहाँ जटिलता को छोड़कर सीधे रास्ते पर चलना अब नीति का आधार बन गया है। ये कदम उस विचार को दर्शाता है जिसमें आर्थिक न्याय और सामाजिक समानता एक ही धागे में बुने गए हैं।
Shikha Malik
अमूल के इस फैसले के पीछे क्या असली मकसद है? ये सब चुनाव से पहले का नाटक है। जब तक दूध के दाम नहीं घटे, तब तक ये सब बस धुंधली बातें हैं।
Hari Wiradinata
बहुत अच्छा कदम है। जब बुनियादी चीजें सस्ती होती हैं, तो पूरा परिवार खुश रहता है। ये फैसला आम आदमी के लिए है।
Leo Ware
सस्ता घी, स्वस्थ भारत।
Ranjani Sridharan
ye toh bht accha hua.. ab toh har ghar me butter khayenge.. kya baat hai!! 😍
Vikas Rajpurohit
बस इतना ही? 😒 अब तो पूरा देश एक बटर-घी बाजार बन गया है! ये तो बस ट्रेंड है, नहीं तो देखो जब तक अमूल की फैक्ट्री में कोई बंदा नहीं बोलेगा, तब तक ये सब बस बुलबुले हैं! 💥
Nandini Rawal
ये तो बहुत अच्छा हुआ। अब बच्चों को रोज़ घी डालकर खिलाना आसान हो गया।
Himanshu Tyagi
अमूल के साथ मदर डेयरी भी इसी दिशा में आ गई, ये देखकर लगता है कि डेयरी सेक्टर अब असली बदलाव की ओर बढ़ रहा है। अब बाकी ब्रांड्स भी इसका फायदा उठाएंगे।
Shailendra Soni
क्या ये कीमत कमी सिर्फ बटर और घी तक सीमित रहेगी? या फिर दही, पनीर, दूध भी आएगा?
Sujit Ghosh
अमूल ने किया, लेकिन चीन ने क्या किया? हमारी डेयरी इंडस्ट्री दुनिया की तुलना में बहुत आगे है। ये तो बस भारत की ताकत का प्रमाण है। 🇮🇳
sandhya jain
मुझे याद आया, जब मैं बच्ची थी, तो घी तो बहुत सस्ता था, लेकिन आजकल लोगों को लगता है कि अगर चीज़ महंगी है तो वो बेहतर है। ये कदम सच में एक यादगार वापसी है - वो दिन जब घर की खाने की चीज़ें स्वास्थ्य के लिए बनती थीं, न कि स्टॉक मार्केट के लिए। अमूल के इस फैसले के बाद मुझे लगता है कि हम फिर से उस असली भारत की ओर लौट रहे हैं, जहाँ खाना खरीदने के लिए आपको लोन लेने की जरूरत नहीं होती थी।
Anupam Sood
अच्छा हुआ... अब तो घी के लिए भी बजट बनाने की जरूरत नहीं 😂
Shriya Prasad
अब बच्चों के लिए पनीर पराठा रोज़ बन सकता है।
Balaji T
इस प्रकार के आर्थिक निर्णयों का विश्लेषण अत्यंत जटिल है, क्योंकि यह एक बहु-स्तरीय सामाजिक-आर्थिक समीकरण का अनुकूलन है, जिसमें सरकारी नीतियों, उपभोक्ता व्यवहार, और वित्तीय लाभांश का अंतर्संबंध शामिल है। इसलिए, इसे एक अल्पकालिक अवधारणा के रूप में नहीं, बल्कि एक दीर्घकालिक संरचनात्मक परिवर्तन के रूप में देखा जाना चाहिए।
Nishu Sharma
ये तो बहुत अच्छा हुआ अब तो घी बहुत सस्ता हो गया है मैं तो रोज़ एक चम्मच खाती हूँ अब तो दो चम्मच खा सकती हूँ 😊
Shraddha Tomar
अमूल ने जीएसटी कट का फायदा उठाया, ये तो एक बड़ा एक्शन है। अब जब डेयरी प्रोडक्ट्स एक्सेसिबल हो गए, तो न्यूट्रिशन डिफिसिएंसी भी कम होगी। ये तो सिर्फ बटर-घी की बात नहीं, ये एक डिस्ट्रक्टिव इनोवेशन है जो आम लोगों के लिए फूड सिक्योरिटी को रीडिफाइन कर रहा है।
Abhishek saw
मदर डेयरी भी इसी तरह कर रही है, ये बात बहुत अच्छी है। अब दोनों ब्रांड्स के बीच प्रतिस्पर्धा से और भी लाभ मिलेगा।